नई दिल्ली: क्षमता बढ़ाने के लिए व्यापक तालमेल वाला अभिन्न नजरिया अपनाना और साझे संसाधनों का निर्माण,
सिविल सेवाओं की स्थिति पर वार्षिक मानव संसाधन रिपोर्ट बनाना और प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास के मानकीकरण संबंधी सिफारिशें करना—ये कुछ ऐसे तरीके हैं जिनके जरिये एक नया केंद्रीय पैनल सिविल सेवाओं में प्रशिक्षण और मानव संसाधन संबंधित गतिविधियों में सुधार की कोशिश करेगा.
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल शुरू की गई कर्मयोगी योजना के तहत कपैसिटी बिल्डिंग कमीशन के गठन को मंजूरी दे दी है.
एक अध्यक्ष और दो सदस्यों वाला यह आयोग सरकार के सभी मौजूदा प्रशिक्षण संस्थानों की निगरानी करेगा.
आदेश में कहा गया है कि इस पर ‘क्षमता निर्माण संबंधी वार्षिक योजनाओं की तैयारियों के समन्वय, योजनाओं पर अमल की निगरानी एवं मूल्यांकन और सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने वाले प्रशिक्षण संस्थानों के बीच साझा संसाधनों के निर्माण की सुविधा मुहैया कराने का दायित्व होगा.’
सूत्रों के अनुसार, सरकार से सेवानिवृत्त अधिकारियों को आयोग का अध्यक्ष और सदस्य बनाया जा सकता है.
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पैनल की अहम जिम्मेदारी
आयोग सिविल सेवाओं के लिए—पाठ्यक्रम, विषय, पाठ्य सामग्री, संसाधन आदि—प्रशिक्षण संबंधी योजनाओं की रूपरेखा निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार होगा, और इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मानव संसाधन परिषद (पीएमएचआरसी) के साथ नजदीकी तारतम्यता रखते हुए काम करेगा.
आयोग के प्रमुख कार्यों में से एक है ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना, जिसमें सेवाओं के भीतर कोई भिन्नता न रहे—अपनी यह आकांक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर रेखांकित की है. इसके लिए, पैनल अन्य बातों के अलावा साझा प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सामग्रियों की व्यवस्था करेगा.
इसे विभागों, मंत्रालयों और इससे जुड़े संगठनों की कपैसिटी बिल्डिंग संबंधी वार्षिक योजनाओं की तैयारी कराने और इन सारी योजनाओं को मंजूरी के लिए पीएमएचआरसी को भेजने की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी. इसके बाद यह इन योजनाओं के अमल पर नजर रखते हुए समय-समय पर अपनी रिपोर्ट देगा.
आयोग निर्धारित लक्ष्य हासिल होने आदि संबंधी सिविल सेवाओं की स्थिति को लेकर वार्षिक मानव संसाधन रिपोर्ट भी तैयार करेगा, और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की मंजूरी के साथ इसे सार्वजनिक करेगा.
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में विस्तृत विश्लेषण के साथ बताया जाएगा कि कौन-सी सेवाएं निरर्थक हो रही हैं, किनमें क्षमता बढ़ाने या घटाने की जरूरत है, किन नई सेवाओं की आवश्यकता, यदि हो तो, पड़ेगी और किन-किन सेवाओं का विलय किया जा सकता है.
आयोग कॉम्पीटेंसी फ्रेमवर्क, कॉम्पीटेंसी गैप आदि का आकलन करते हुए रिसर्च के लिए सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, अध्यापन व्यवस्था और कार्यप्रणाली के मानकीकरण पर सिफारिशें भी देगा.
इसके अलावा, इस पर सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देने में शामिल लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी और राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी जैसे सभी प्रशिक्षण संस्थानों की कार्यकारी निगरानी की पूरी जिम्मेदारी होगी. यहां तक कि इन संस्थानों के संकाय भी साझा किए जाएंगे, और इस पर कोई भी फैसला आयोग की तरफ से ही किया जाएगा.
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