नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का कार्यभार संभालने के बाद से ही भाजपा ने जो बड़े काम किए हैं. उसमें सबसे अहम है आयुक्त रैंक के भ्रष्टाचार में लिप्ट अधिकारियों का सफाया. अभी तक सरकार 64 कर्मचारियों को भ्रष्टाचार सहित कई आरोपों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति का कागज थमा चुकी है और यह काम अभी यहां रुकने वाला नहीं है.
आपराधिक व भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे सरकारी अधिकारी व कर्मचारी मोदी सरकार के निशाने पर हैं. सरकार अपने इस दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही नौकरशाही से बुरे तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में है.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के थोड़े समय बाद जून से लेकर अबतक आयुक्त रैंक के अधिकारियों सहित कम से कम 64 कर्मचारियों को भ्रष्टाचार सहित विभिन्न आरोपों के कारण केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है.
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई भविष्य में जारी रहने की संभावना है, क्योंकि केंद्र सरकार वार्षिक गोपनीय रिपोर्टें और कर्मचारियों के अन्य विवरणों की समीक्षा कर रही है.
एक अधिकारी ने बताया, ‘विशेष रूप से आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे अधिकारियों को अनिवार्य तौर पर सेवानिवृत्ति दिए जाने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है.’
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केंद्र सरकार ने सभी काडर नियंत्रक प्राधिकरणों को काम नहीं करने वाले अधिकारियों की पहचान करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने को कहा है. इसके बाद उनके सेवा रिकॉर्ड की पूरी तरह से जांच करने के बाद उन्हें सेवानिवृत्ति देने की बात कही गई है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र ने राज्यों को उन अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिए लिखा है, जो कदाचार या भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं.’
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय चरणबद्ध तरीके से सेवा से हटाने के लिए दागी अधिकारियों की सूची तैयार कर रहा है. इसी मंत्रालय के पास आईएएस अधिकारियों के काडर का नियंत्रण भी होता है.
इसके साथ ही गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा भी इस दिशा में काम किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे दागी अधिकारियों को हटाने के लिए सेवा नियमों में संशोधन किया जा सकता है या प्रशासनिक निर्देश जारी किए जा सकते हैं.
अधिकारी ने कहा, ‘अधिकांश मंत्रालयों और काडर नियंत्रक प्राधिकरणों द्वारा एक सूची तैयार की गई है. नामों की घोषणा चरणबद्ध तरीके से की जाएगी.’
इसी दिशा में काम करते हुए पिछले महीने सीबीडीटी ने 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी.
इसके अलावा इसी साल जून में संयुक्त आयुक्त रैंक के एक अधिकारी सहित 12 वरिष्ठ आयकर अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य एजेंसियों को निर्देश देते हुए भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने को कहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भ्रष्टाचार की घटनाओं के बाद एनआईए के कुछ शीर्ष अधिकारी जांच के दायरे में हैं.