scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशमोदी सरकार ने माना कोविड मरीजों को फिर संक्रमण हो रहा, लेकिन दोनों बार हल्का होता है संक्रमण

मोदी सरकार ने माना कोविड मरीजों को फिर संक्रमण हो रहा, लेकिन दोनों बार हल्का होता है संक्रमण

यह टिप्पणी ऐसी खबरों के बीच आई है जिनमें कहा गया है कि कोरोनोवायरस के कुछ मरीज ठीक होने के बाद फिर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, इससे एंटीबॉडीज से मिलने वाली सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान सचिव डॉ. बलराम भार्गव ने मंगलवार को साप्ताहिक कोविड ब्रीफ्रिंग में कहा कि वायरल डिसीज का दोबारा संक्रमण होना ‘बेहद दुर्लभ’ है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि नोवेल कोरोनावायरस के मामले में यह हो रहा है.

यह टिप्पणी ऐसी खबरों के बीच आई है जिनमें कहा गया है कि कोरोनोवायरस के कुछ मरीज ठीक होने के बाद फिर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, इससे एंटीबॉडीज से मिलने वाली सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.

डॉ. भार्गव ने कहा, ‘जैसा कि मैंने हांगकांग में दोबारा संक्रमण का मामला सामने आने के बाद कहा था, वायरल डिसीज में पुन: संक्रमण बेहद दुर्लभ है. मैंने खसरे का उदाहरण दिया था. जब किसी व्यक्ति को एक बार खसरा हो जाता है तो उसे बाकी जीवन इस बीमारी से सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कभी-कभी पुन: संक्रमण हो जाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह हम कोविड-19 में पुन: संक्रमण के मामले देख रहे हैं, लेकिन यह कोई गंभीर चिंता की बात नहीं है. जब ऐसा होता है तो दोनों बार संक्रमण हल्का ही होता है.’

यह पहला मौका है जब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोविड-19 के पुन: संक्रमण की संभावना की बात स्वीकारी है. कुछ हफ्ते पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के एक कर्मचारी के कोविड-19 के फिर संक्रमित होने के बाबत पूछे गए सवाल पर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इसे ‘काल्पनिक’ बताते हुए खारिज कर दिया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

ऑक्सीजन की कमी नहीं

ब्रीफिंग में सरकार ने भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की कथित कमी को लेकर जताई जा रही चिंताएं दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि देश में स्थिति पूरी तरह ठीक है.

भूषण ने कहा, ‘ऑक्सीजन दो प्रकार की होती है- औद्योगिक ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन. भारत प्रतिदिन 6,900 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. आज सुबह के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 के लगभग 6 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन पर थे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इन मरीजों और अन्य गैर-कोविड स्वास्थ्य जरूरतों को मिलाकर प्रतिदिन लगभग 2,800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत होती है. उद्योगों की आवश्यकता लगभग 2,200 मीट्रिक टन है. इसलिए हमारे पास लगभग 1,900 मीट्रिक टन का एक बफर है.’

हालांकि, भूषण ने कहा कि ‘राज्यों के लिए जरूरी है कि अस्पताल स्तर पर इन्वेंट्री प्रबंधन की निगरानी करें.’

यह टिप्पणियां ऑक्सीजन की उपलब्धता पर केंद्र सरकार और राज्यों के बीच एक के बाद एक बैठकों के बाद आई हैं.

13 सितंबर को भूषण और भारत सरकार के कई अन्य सचिवों ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के साथ सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता और राज्य के अंदर और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक बैठक की थी. एक दिन बाद इसी मुद्दे पर एक और बैठक हुई थी.

भारत ने ‘कर्व विभाजित किया’

डॉ. भार्गव ने कोविड-नियंत्रण को लेकर एक नई शब्दावली पेश की, जैसा कि उन्होंने कहा कि भारत ‘कर्व को विभाजित करने’ में सफल रहा है. भारत में मौजूदा समय में प्रति दिन 80,000 से 90,000 मामले सामने आ रहे हैं, और पिछले सात महीनों से देश ‘कर्व को समतल’ करने की कोशिश कर रहा है.

यह पूछे जाने पर कि क्या इस समय देश में जो उछाल दिख रहा है, वह कोविड-19 की ‘दूसरी लहर’ है, डॉ. भार्गव ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि दूसरी लहर से आपका आशय क्या है. लेकिन जो मैं कह सकता हूं, वह यह है कि…यदि आप यूरोप और अमेरिका को देखें तो उन्होंने एक शिखर छुआ और फिर नीचे आ गए. उस शिखर के दौरान चाहे वह स्पेन हो या ब्रिटेन, स्वीडन या इटली, वहां बड़ी संख्या में मौतें हुईं.

उन्होंने कहा, ‘स्थिति पीक से नीचे आई और फिर हाल ही में उन देशों में दूसरी लहर आई. सौभाग्य से, भारत में हमने इससे कुछ सीखा और हम वह करने में सक्षम रहे जिसे हम ‘कर्व को विभाजित करना’ कहते हैं.’

भार्गव के अनुसार, भारत ने ‘कर्व को इस तरह विभाजित किया है कि हमारे यहां मौतों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘इसका श्रेय वैज्ञानिक तौर पर मार्च, अप्रैल और मई के महीनों के दौरान बेहद प्रभावी ढंग से लागू होने को जाता है. हम विशाल पीक तक नहीं पहुंचे.’

सीरो सर्वे के निष्कर्षों के मुताबिक भारत में मई के अंत में ही मामले वास्तविक सूची, जो मंगलवार को 49,30.236 थी, की तुलना में काफी ज्यादा करीब 64 लाख होने के बाबत पूछे जाने पर भूषण और डॉ. भार्गव दोनों ने कहा कि सीरो सर्वे और रोज टेस्टिंग से जुड़े नतीजों की तुलना करना ठीक नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments