नई दिल्ली: सरकार की सस्ती दवाओं की फ्लैगशिप (प्रमुख), प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत केंद्र जल्द ही आयुर्वेदिक उत्पाद जैसे आंवला, त्रिफला, अश्वगंधा और च्यवप्राश भी बेचना शुरू करेंगे, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
यह नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत होगा, क्योंकि जन औषधि योजना- मूलरूप से यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई थी और फिर पीएमबीजेपी के रूप में नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार ने फिर से लॉन्च किया है- इन पर अभी तक केवल जेनेरिक एलोपैथिक दवाएं बेची गईं.
पीएमबीजेपी के तहत वर्तमान में देशभर में 5,500 फार्मेसी आउटलेट्स (दुकानें) हैं, और सरकार ने इन दुकानों में बेचे जाने के लिए 20 आयुर्वेदिक उत्पादों को चुना है.
इस मामले पर चर्चा पिछले साल शुरू हुई थी, लेकिन रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग से अब इस योजना को आगे बढ़ाने को मंजूरी मिली है, जो कि पीएमबीजेपी की देखरेख करता है.
जनऔषधि स्कीम को कार्यान्वित करने वाली सरकार की एक सहयोगी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज (PSUs) ऑफ इंडिया बीपीपीआई (BPPI) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन सिंह ने कहा, ‘हम आयुष मंत्रालय द्वारा साझा की गई दवाओं की सूची की खरीद के लिए निविदाएं शुरू करेंगे. निर्माताओं की योग्यता डब्ल्यूएचओ-जीएमपी (WHO-GMP) प्रमाणित कंपनियों के साथ-साथ केंद्रीय या राज्य द्वारा संचालित आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं पर आधारित है.
कोविड-19 महामारी के बीच आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. हाल ही में, पीएम मोदी ने खुद ही नॉबल कोरोनावायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के उपयोग को बढ़ावा देना शुरू किया है.
सिंह ने कहा, ‘कोविड-19 से लड़ने के लिए कई राज्यों ने अपनी रणनीति में आयुर्वेद को शामिल किया है. हमारे स्टोर पर भी इन दवाओं की मांग बढ़ रही है. एक बार इनके हमारे आउटलेट पर उपलब्ध होने पर लोग इन्हें सबसे सस्ती कीमत पर प्राप्त कर सकते हैं.’
यह भी पढ़ेंः कोरोनावायरस से लड़ने और संक्रमण कम करने के, ये हैं केरल के आयुर्वेदिक नुस्ख़े
बेची जाने वाली दवाओं की सूची
डीओपी (DoP), बीपीपीआई (BPPI) और आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं की ‘प्राथमिकता’ वाली सूची को अंतिम रूप दिया गया है.
आयुष मंत्रालय- आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने छह श्रेणियों में 20 वस्तुओं की एक सूची साझा की है – आयुर्वेदिक फर्मेंटेड (किण्वित) फार्मुलेशंस (असावा और अरिष्टा), तरल फार्मुलेशन (अवालेह), गोंद- आधारित उत्पाद (गुग्गुलु), पाउडर वाली दवाएं (चूर्ण), तेल-आधारित उत्पाद (तैला) और टेबलेट आधारित उत्पाद (गुटिका) हैं.
यह है योजना
मोदी सरकार का कहना है कि पीएमबीजेपी के तहत 5500 फार्मेसी आउटलेट्स में 900 प्रकार की जेनेरिक दवाइयां और 154 प्रकार के सर्जिकल उपकरण जिनको बाजार मूल्य से 50-90 फीसदी कम कीमत पर बेचा जा रहा है.
इस योजना को मूलरूप से जनऔषधि योजना (JAY) कहा जाता है, को 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू किया गया लेकिन 2015 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना (PMJAY) के रूप में फिर से ब्रैंडिंग की और रीलॉन्च किया है. प्रधानमंत्री खुद इसे पुनर्जीवित करने का श्रेय लेते हैं.
2016 में, इसे फिर से पीएमबीजेपी (PMBJP) नाम दिया गया, मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में आक्रामक रूप से इसे बढ़ावा देने के लिए इसको एक पॉइंट के रूप में इस्तेमाल किया.
पिछले साल के लोकसभा चुनावों से पहले, पीएम ने इसे फिर से एक ऐसी योजना के रूप में प्रचारित किया, जिससे आम लोगों को 1,000 करोड़ रुपये की बचत हुई.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)