नई दिल्लीः मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक और केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर लैंगिक समानता को विभिन्न रंग देकर अपनी ‘सांप्रदायिक मानसिकता’ उजागर कर दी है. माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में प्रकाशित संपादकीय में एक जनवरी को साढ़े पांच लाख से ज्यादा महिलाओं द्वारा लैंगिक समानता के समर्थन में केरल के कासरगोड से तिरुवनंतपुरम में 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला ‘वुमेन वाल’ बनाए जाने की सराहना की गई है.
माकपा ने कहा, ‘जिस दिन वुमेन वॉल बनाई गई, उसी दिन मोदी से सबरीमाला पर भाजपा-आरएसएस के रुख का औचित्य साबित करने की मांग की गई.’
पार्टी ने कहा, ‘एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि तीन तलाक और सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश अलग-अलग मुद्दे हैं. तीन तलाक, जहां लैंगिक समानता का मुद्दा है, वहीं सबरीमाला मंदिर की परंपरा का मामला है.’
संपादकीय में कहा गया, ‘इस गलत द्विभाजन से मोदी ने अपनी हिंदू सांप्रदायिक मानसिकता उजागर की है, जो मुस्लिम महिलाओं के लिए लैंगिक समानता की वकालत करती है, लेकिन हिंदू महिलाओं को इस दायरे में लाने से इनकार करती है.’
पार्टी ने कहा, ‘इसलिए वुमेन वाल की अभिव्यक्ति न केवल केरल के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रासंगिक है, जहां आज एक हिंदुत्ववादी ताकत द्वारा शासन किया जा रहा है और वह मनुवादी मूल्यों के लिए खड़ी है. लेकिन कहती है, हम सबको साथ लेकर चल रहे हैं.’
संपादकीय में कहा गया है कि जिन 12 घंटों में वुमेन वाल खड़ी की जा रही थी, उस दौरान 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया और गर्भगृह में पूजा की.
माकपा ने कहा, ‘आरएसएस-भाजपा और उनके द्वारा स्थापित संगठनों ने मिलकर मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं के ‘अपवित्रीकरण’ का विरोध किया. उनकी नाराजगी इस बात से अधिक सामने आती है कि मंदिर जाने वाली महिलाओं को जबरन रोकने की उनकी सारी व्यवस्था पर पानी फेर दिया गया.’