नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को जर्मनी में मुलाक़ात की- जो फरवरी 2018 के बाद उनकी पहली पूरी द्विपक्षीय बैठक थी. आपसी बातचीत में दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया.
खालिस्तान मुद्दे पर, जो रिश्तों के बीच एक अड़चन बना हुआ है, आतंकवाद से मुक़ाबले के तहत बातचीत की गई, और साथ ही उस मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता तेज़ करने पर भी बातचीत हुई, जो 2008 से लंबित चला आ रहा है.
Reviewed the full range of India-Canada ties during the fruitful meeting with PM @JustinTrudeau. There is immense scope to boost cooperation in sectors like trade, culture and agriculture. ?? ?? pic.twitter.com/RjqxPvtfOi
— Narendra Modi (@narendramodi) June 27, 2022
दोनों प्रधानमंत्रियों ने जर्मनी के श्लॉस इलमाऊ में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर सोमवार देर रात मुलाक़ात की. विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, ‘साझा मूल्यों के मज़बूत लोकतंत्रों के नेताओं के नाते’ मोदी और ट्रूडो के बीच एक ‘उपयोगी बैठक’ हुई, जिसमें उन्होंने भारत-कनाडा द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत की और व्यापार तथा आर्थिक रिश्तों व सुरक्षा और आतंकवाद के मुक़ाबले को और मज़बूती देने पर सहमति बनाई’.
बयान में आगे कहा गया, ‘उन्होंने आपसी हितों के वैश्विक तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान प्रदान किया’. बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा: ‘कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री ने, जिन क्षेत्रों का मैंने आपसे उल्लेख किया, मुख्य रूप से व्यापार और निवेश संबंधों, सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबले पर सहयोग, और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने पर बातचीत की.’
खालिस्तान पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए क्वात्रा ने आगे कहा: ‘प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री बल्कि दूसरे नेताओं को भी बिल्कुल स्पष्ट कर दिया, कि एक बहुत बड़ी वैश्विक चुनौती जिसका आज हम सब सामना कर रहे हैं वो है आतंकवाद, और वो एक ऐसी चीज़ है जिस पर भारत ने लगातार जीरो टॉलरेन्स की नीति अपनाई है और उसी की पैरवी की है.
‘सभी नेताओं के साथ अपनी द्विपक्षीय बातचीत में, जहां कहीं भी ये मुद्दा सामने आया, प्रधानमंत्री ने उस बिंदु को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया, जिनमें ज़ाहिर है कि कनाडा के प्रधानमंत्री भी शामिल थे’.
खालिस्तान हमेशा से द्विपक्षीय रिश्तों के बीच एक बड़ा मुद्दा रहा है. फरवरी 2018 में- ट्रूडो के पिछले भारत दौरे पर- एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था, जब एक खालिस्तानी अलगाववादी को मुम्बई में कनाडाई प्रधानमंत्री के एक आयोजन में शिरकत करते देखा गया था.
उस घटना के बाद ट्रूडो ने अपने भारत दौरे को ‘सभी दौरों को ख़त्म करने वाला दौरा’ बताया था.
2020 में स्थिति और बिगड़ गई, जब पूरे भारत में किसान आंदोलन के चरम पर, प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ‘स्थिति’ को लेकर अपनी चिंता का इज़हार किया, जिसने मोदी सरकार को नाराज़ कर दिया. मोदी सरकार ने उनके इस क़दम को ‘अस्वीकार्य हस्तक्षेप’ क़रार दिया था और भारत में कनाडा के तत्कालीन उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब भी किया.
लेकिन, एक रिश्तों में फिर से गर्माहट 2021 में तब आई जब कनाडा ने भारत से वैक्सीन्स भेजने का अनुरोध किया, जिसके लिए ट्रूडो ने ख़ुद मोदी को कॉल किया.
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रणनीतिक रूप से क़रीब आएंगे भारत और कनाडा
जर्मनी में दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाक़ात से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 23 जून को रवाण्डा के किगली में अपनी कनाडाई समकक्ष मिलेन जोली से राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) के इतर मुलाक़ात की, जहां दोनों ने द्विपक्षीय रिश्तों को ‘आगे बढ़ाने के लिए और नज़दीकी से काम करने’ का फैसला किया.
दोनों पक्षों ने इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क के अंतर्गत रणनीतिक रूप से और क़रीब आने के रास्तों पर भी चर्चा की.
Met with my Indian counterpart, @DrSJaishankar at #CHOGM2022 to discuss advancing our strategic partnership and our multilateral cooperation, global issues, human rights, Russia’s war in Ukraine and ensuring a free, open, and inclusive Indo-Pacific for the benefit of our peoples. pic.twitter.com/ajmZp24nbt
— Mélanie Joly (@melaniejoly) June 23, 2022
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