(शीर्षक में एक शब्द में सुधार के साथ)
ठाणे, 18 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए तृतीय भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को नवी मुंबई में प्रदर्शन किया।
सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने वाशी में बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और सरकारी प्रस्ताव की प्रतियां जलाईं। उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आरोप लगाया कि एक समृद्ध भाषाई विरासत वाले क्षेत्र में एक भाषा थोपने का प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन में पहली से पांचवीं कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले को लागू किया गया है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना (मनविसे) के कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं है।
एक छात्र नेता ने कहा, ‘‘इसे अनुचित तरीके से लागू किया जा रहा है। एनईपी 2020 में कहीं भी हिंदी को अनिवार्य बनाने का उल्लेख नहीं है।’’
उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों से इसके विरोध में एकजुट होने का आग्रह किया।
इस बीच, साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सदस्य प्रोफेसर नरेंद्र फाटक ने कहा कि राज्य सरकार का कदम छात्रों के लिए अन्यायपूर्ण और बोझिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार का रुख एनईपी 2020 को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
फाटक ने कहा, ‘‘यह एकतरफा फैसला है जो केवल हिंदी के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ावा देगा। हिंदी महाराष्ट्र में कभी कोई मुद्दा नहीं था। दुर्भाग्यवश, ऐसी नीतियां विशिष्ट समूहों को मामले का राजनीतिकरण करने और आंदोलन शुरू करने का मौका देती हैं ।’’
भाषा
खारी माधव
माधव
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