नयी दिल्ली/चेन्नई, 25 अगस्त (भाषा) तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने तिरुवल्लुवर द्वारा तमिल भाषा में लिखित प्राचीन मुक्तक काव्य रचना ‘तिरुक्कुरल’ को शाश्वत आध्यात्मिकता का महाकाव्य करार देते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि भारत में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मिशनरियों ने इस महाकाव्य का ऐसा अंग्रेजी संस्करण प्रकाशित किया था, जिसमें आध्यात्मिकता का गुण खत्म कर दिया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी में लोधी एस्टेट के डीटीईए सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तिरुवल्लुवर की एक प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि तिरुक्कुरल न केवल नैतिक मूल्यों और धर्माचरण की एक संहिता है, बल्कि शाश्वत आध्यात्मिकता के ज्ञान से ओत-प्रोत महाकाव्य भी है।
कुराल के रूप में मशहूर तिरुक्कुरल में 1,330 दोहे हैं।
तिरुवल्लुवर की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने सबसे प्राचीन तमिल भाषा की समृद्धि और खुबसूरती पर प्रकाश डाला।
उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे जी. यू. पोप जैसे मिशनरियों ने पहली बार तिरुक्कुरल का अंग्रेजी में अनुवाद किया और इसका एक ऐसा संस्करण पेश किया था, जिससे आध्यात्मिकता का लोप हो चुका था।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘(यह अंग्रेजी) अनुवाद भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को तुच्छ बनाने के लिए औपनिवेशिक दृष्टि से किया गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास, संस्कृति को विकृत करके और लोगों के दिमाग को उपनिवेश बनाकर भारत की महान आध्यात्मिकता को नष्ट करने का प्रयास किया।’’
इस बीच, चेन्नई में राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि रवि ने युवाओं और विद्वानों से इन अमूल्य पुस्तकों की औपनिवेशिक व्याख्या से दूर रहने और इन शास्त्रों को आत्मीयता से पढ़ने और उनके वास्तविक सार का अनुभव करने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने डीटीईए को समाज की उत्कृष्ट सेवा के लिए बधाई दी और कामना की कि यह विद्यालय और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी बेहतरीन यात्रा जारी रखे।
इससे पहले स्कूली छात्रों ने तिरुक्कुरल का पाठ किया।
रवि ने इस अवसर पर छह मेधावी छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए।
भाषा सुरेश पवनेश
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