मिर्जापुर: मिड डे मील नमक रोटी प्रकरण में नया खुलासा हुआ है. प्राथमिक स्कूल में खाना पकाने वाली कुक रुकमणी ने बताया है कि उन्होंने स्कूल के हेडमास्टर मुरारी लाल को इस बारे में बताया था कि मिड डे मील के लिए राशन का सामान खत्म हैं, जिस पर हेडमास्टर ने उसे चुप रहने को कहा. इसी कारण बच्चों को नमक रोटी परोसा गया. वहीं इससे एक हफ्ते पहले चावल नमक भी परोसा गया था. कुक ने साफ कहा है कि पत्रकार की इसमें कोई गलती नहीं.
यह रुक्मिनी देवी हैं। #Mirzapur के उसी विद्यालय में खाना बनाती हैं। इनका साफ़-साफ़ कहना है कि पत्रकार #PawanJaiswal की कोई ग़लती नहीं है। सिर्फ़ एक दिन नमक-रोटी नहीं बल्कि हर दिन राशन, दूध-केला देने में कोताही(टाल-मटोल) होता था। एक दिन नमक-चावल बच्चों को दिया गया। #ShameOnUPGov pic.twitter.com/G3aepoLJ3d
— Deepak Singh | दीपक सिंह (@author_deepak) September 4, 2019
हालांकि हेड मास्टर ने अब इन आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से कहा है कि वह तो उस वक्त स्कूल में मौजूद नहीं थे वरना ऐसा न होता. बता दें कि इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर पुलिस ने वीडियो बनाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल व ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि पर धारा 120-बी, 186,193 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. इन पर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, साझा साजिश व फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है.
पत्रकार पवन जायसवाल ने दप्रिंट को बताया, ‘वह तो केवल अपनी ड्यूटी कर रहे थे. उन्हें 22 अगस्त को ग्राम प्रतिनिधि ने कॉल करके स्कूल के हालात के बारे में बताया था. इस पर उन्होंने एडिशनल बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस घटना की सूचना दी. इसके बाद मैंने स्कूल पहुंचकर वीडियो शूट किया और अपने अखबार में खबर छापी.’
मल्टीमीडिया के दौर में ऐसे डीएम साहब कहां मिलते हैं…इन्हें सुनिए ज़रा , बोल रहे हैं कि #MidDayMeal वाली स्टोरी कवर रहा पत्रकार तो प्रिंट मीडिया से था तो वह वीडियो क्यों बना रहा था…इसीलिए संदिग्ध लगा और FIR ठोंक दी…@renuagal @rmulko @RohitMishraNBT @pranshumisraa pic.twitter.com/2tC0aEbKAH
— Prashant Srivastava (@Prashantps100) September 3, 2019
डीएम का अजीबोगरीब तर्क
मिर्ज़ापुर के डीएम अनुराग पटेल का कहना है, ‘प्रिंट मीडिया के पत्रकार पवन जायसवाल ने मिड डे मील का वीडियो कैसे बनाया? इससे पता चलता है कि उसने साज़िश की. उसे सिर्फ़ फोटो खींचनी चाहिए थी.’
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उधर, एफआईआर के विरोध में डीएम दफ्तर के बाहर कई पत्रकार धरने पर बैठ गए हैं. इनकी मांग है कि तुरंत एफआईआर हटाई जाए. प्रशासन ने वीडियो के ज़रिए सरकार की छवि बिगाड़ने के आरोप में पत्रकार पर एफआईआर दर्ज किया था. इसलिए उनकी भूमिका संदिग्ध लगी और लगा कि वह 120(बी) में शामिल हैं. उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया.
क्या है पूरा मामला
बीते 22 अगस्त को मिर्जापुर के जमालपुर खंड में स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल का वीडियो वायरल हुआ जिसमें साफ दिख रहा है कि बच्चे नमक -रोटी खाने को मजबूर हैं. एक महिला बाल्टी में रोटी लेकर बच्चों को परोस रही है. इसके बाद बच्चों को नमक दिया जा रहा है.
वीडियो वायरल होने की सूचना के बाद बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) प्रवीण कुमार तिवारी ने जांच के बाद कार्रवाई करते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया. इसके साथ ही सहायक अध्यापिका का वेतन अग्रिम आदेश तक रोक दिया लेकिन कुछ दिनों बाद ही मामले मेॆ नया मोड़ आ गया. वहां के डीएम के निर्देश के बाद खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर पत्रकार व ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
एफआईआर के विरोध में मंगलावार व बुधवार को स्थानीय पत्रकारों ने डीएम दफ्तर के बाहर धरना दिया. इनकी मांग है कि तुरंत एफआईआर हटाई जाए. प्रशासन ने वीडियो के जरिए सरकार की छवि बिगाड़ने के आरोप में पत्रकार पर एफआईआर दर्ज किया था.
इधर मामला तूल पकड़ने के बाद यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा है, ‘भ्रष्टाचार को उजागर करने और सच बताने के लिए पत्रकार पर कार्रवाई करने के मामले में प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगेंगे.’