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Wednesday, 20 August, 2025
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उत्तराखंड विधासभा में अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पेश

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गैरसैंण (उत्तराखंड), 19 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 पेश किया जो अधिनियम बनने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की जगह लेगा।

विधेयक के तहत प्रदेश में मुसलमान समुदाय के साथ ही अन्य अल्पसंख्यक समुदायों—सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों को भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्राप्त होगा।

अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा केवल मुसलमान समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को ही मिलता है ।

अधिनियम लागू होने पर मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषा का अध्ययन भी संभव होगा।

इस विधेयक में एक ऐसे प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता लेना अनिवार्य होगा। यह प्राधिकरण इन संस्थानों में शैक्षणिक उत्कृष्टता को सुविधाजनक बनाने एवं उसे बढ़ावा देने का कार्य करेगा जिससे अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और उनका शैक्षणिक विकास हो सके।

विधेयक के तहत प्राधिकरण द्वारा अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान की मान्यता तभी प्रदान की जायेगी जब आवेदक द्वारा कुछ शर्तें पूरी की जायेंगी। किसी शर्त का उल्लंघन होने या शुल्क, दान, अनुदान या किसी अन्य वित्त पोषण स्रोत से प्राप्त धनराशि का दुरूपयोग पाए जाने पर उस संस्थान की मान्यता समाप्त भी की जा सकती है ।

प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार शिक्षा दी जाए और विद्यार्थियों का आकलन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो ।

इस विधेयक के अधिनियम बनने के बाद एक जुलाई, 2026 से उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 तथा उत्तराखंड गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 को निरस्त कर दिया जाएगा।

लागू होने के बाद यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा जिसका उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने हेतु पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने के साथ ही शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना है ।

भाषा दीप्ति सिम्मी

सिम्मी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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