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2013 के वक्फ कानून के नियमों में देरी पर अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारी तलब

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नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधिकारियों को 2013 के वक्फ कानून के नियम तय करने की प्रक्रिया में विलंब का कारण बताने के लिए तलब किया है।

अधीनस्थ विधान संबंधी राज्यसभा की समिति ने मंत्रालय के सचिव और प्रतिनिधियों को अगले सप्ताह बुलाने का निर्णय ऐसे समय में लिया है जब संसद की एक संयुक्त समिति वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार कर रही है। यह विधेयक 2013 के वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए लाया गया है।

राज्यसभा की इस समिति ने छावनी अधिनियम, 2006 के तहत अधीनस्थ विधान बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के कारणों पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को भी तलब किया है।

संसद के दोनों सदनों में अधीनस्थ विधान पर अपनी-अपनी समितियां हैं जो यह जांच करती हैं कि क्या किसी कानून से संबंधित नियम और उपनियम समय पर बनाए गए हैं और क्या वे संविधान के प्रावधानों के अनुसार हैं।

2013 के वक्फ अधिनियम ने वक्फ बोर्डों को कुछ शक्तियां दी थीं।

वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पहली बड़ी पहल है।

विधेयक में कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों समेत एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना शामिल है।

विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिलाधिकारी को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव करता है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

विधेयक को गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था।

भाषा हक हक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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