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Saturday, 21 December, 2024
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अल्पसंख्यक आयोग ने पंजाब सरकार से ‘सिखों के ईसाई धर्मांतरण’ पर रिपोर्ट मांगी

पंजाब सरकार के प्रतिनिधि, अकाल तख्त और एसजीपीसी, इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा 16 जून को बुलाई गई बैठक में शामिल होंगे.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने पिछले एक महीने में पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार को दो बार पत्र लिखकर ईसाई मिशनरियों द्वारा सिखों के धर्मांतरण के आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है.

आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने बताया कि उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.

लालपुरा ने दिप्रिंट से कहा कि ‘सार्वजनिक और धार्मिक स्तर के संगठनों’ ने पैनल को ‘पंजाब में ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे सिखों के जबरन ईसाई धर्मांतरण अभियान’ के बारे में लिखा था.

उन्होंने बताया, ‘हम उन्हें (पंजाब सरकार को) पत्र लिख रहे हैं और मामले पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है लेकिन हमारे कई पत्रों के बावजूद उधर से कोई जवाब नहीं आया है.

पंजाब सरकार के अधिकारियों के अलावा, अकाल तख्त और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रतिनिधियों के बैठक में भाग लेने की उम्मीद है. अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च अस्थायी सीट है जबकि एसजीपीसी पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है.

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि आयोग ने हाल ही में 30 मई को पंजाब सरकार को एक पत्र भेजा था.

अल्पसंख्यक पैनल के सूत्रों के मुताबिक, कथित धर्मांतरण की ज्यादातर शिकायतें पंजाब के भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों से जुड़ी हैं.

दिप्रिंट ने इस मामले पर पंजाब सरकार और आप के प्रवक्ताओं से टिप्पणी मांगी है लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. प्रतिक्रिया मिलने पर इस लेख को अपडेट किया जाएगा.


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मामले पर कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग

केंद्र सरकार के अधिकारी ने कहा, ‘मई में ही हमने पंजाब सरकार को दो बार पत्र लिखा लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला. हमने यह जानने के लिए सरकार से रिपोर्ट मांगी थी कि क्या आरोप सही हैं? और अगर आरोप सही हैं, तो क्या पंजाब सरकार ने कोई कार्रवाई की है और क्या कोई गिरफ्तारी हुई है? साथ ही अगर धर्मांतरण हुआ है तो वे लोग कौन हैं और क्या उन्हें इसके लिए फुसलाया गया है?’

अधिकारी ने कहा कि उन्हें अभी तक मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं दी गई है. उन्होंने एक बैठक करने का फैसला किया ताकि इस मसले को सुलझाया जा सके. वह बताते हैं, ‘हमें इन आरोपों की सच्चाई पता लगाने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि बैठक से सकारात्मक परिणाम निकलकर आएंगे.’

पिछले साल दिसंबर में दिप्रिंट ने रिपोर्ट की थी कि ईसाई धर्म के बढ़ने की जो प्रवृत्ति तमिलनाडु जैसे राज्यों ने 1980 और 1990 के दशक में अनुभव की थी, पंजाब आज उसी ओर जाता नजर आ रहा है.

2011 की जनगणना के ‘धार्मिक समुदाय द्वारा जनसंख्या’ के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब की आबादी में सिखों का प्रतिशत 57.69 हैं, इसके बाद हिंदू (38.49 प्रतिशत), मुस्लिम (1.93प्रतिशत) और ईसाई (1.26 प्रतिशत) आते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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