नई दिल्ली: सरकारी दफ्तरों में कोविड-19 के मामलों में तेज़ी आने के बाद, जिनमें रक्षा सचिव अजय कुमार भी शामिल हैं, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अनौपचारिक तौर पर मंत्रालयों से कहा है कि चपरासी और निजी सहायकों जैसे जूनियर स्टाफ पर, दफ्तर आने के लिए ‘ज़ोर न डाला’ जाए.
विभाध्यक्षों को कहा गया है कि सिर्फ आवश्यक स्टाफ को ही ऑफिस बुलाया जाए और बाकी को घर से काम करने दिया जाए. डीओपीटी घर से काम करने का एक फ्रेमवर्क भी तैयार कर रहा है और जल्द ही एक आदेश जारी होने की उम्मीद है. लेकिन संयुक्त सचिवों और उनसे ऊपर के अधिकारियों को, हर रोज ऑफिस आते रहना है.
पांच जून को जारी एक सर्क्युलर में, डीओपीटी ने मंत्रालयों से कहा था कि रोस्टर में बदलाव करके सुनिश्चित करें कि किसी भी दिन ऑफिस में 20 से ज़्यादा स्टाफ मेम्बर्स या अधिकारी मौजूद न हों और सिर्फ बिना लक्षण वाले लोगों को ही काम करने दिया जाए. लेकिन मामलों में उछाल आने के बाद, अधिकारियों से सक्रियता के साथ कहा जाने लगा कि जूनियर स्टाफ को, जिसमें निजी स्टाफ भी शामिल हैं, लम्बा सफर तय करके ऑफिस आने को न कहा जाए.
निर्माण भवन में कुछ विभागाध्यक्षों का कहना है कि उनसे केवल दस प्रतिशत जूनियर स्टाफ के साथ काम करने को कहा गया है.
एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘डीओपीटी सचिव ने सभी सचिवों से बात करके, उनसे अपने दफ्तरों में कम मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है. कुछ विभागाध्यक्षों से ये भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी भी दिन उनके यहां 10 प्रतिशत से अधिक स्टाफ नहीं रहना चाहिए. हालांकि इस आशय का कोई ऑफिस ऑर्डर नहीं है. ये संदेश दिया गया है कि अगर कोई स्टाफ मेम्बर, ऑफिस आने की बजाय घर से काम करना चाहता है तो उसपर वैयक्तिक रूप से आने के लिए, ज़ोर नहीं डालना चाहिए.’
लेकिन डीओपीटी प्रवक्ता शम्भू चौधरी ने कहा कि विभाग की 18 मई की गाइडलाइन्स के मुताबिक, सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत हाज़िरी की अनिवार्यता अभी भी बरकरार है.
उन्होंने कहा, ‘हाज़िरी को और कम करने का कोई आदेश नहीं है.’
यह भी पढ़ें: मेवात: सीएम खट्टर ने गोकशी और धर्म परिवर्तन पर सख्त होने की बात कही, प्रशासन ने हिंदू पलायन की खबरों को बताया गलत
18 मई की गाइडलाइन्स में कहा गया था कि 50 प्रतिशत अधिकारियों और स्टाफ को अलग-अलग अंतराल की तीन शिफ्टों में- सुबह 9 बजे से शाम 5.30, सुबह 9.30 बजे से शाम 6 और सुबह 10 बजे से शाम 6.30 बजे तक- काम करना है.
घर से काम करने का फ्रेमवर्क
डीओपीटी सूत्रों का कहना है कि विभाग एक आदेश तैयार करने के आख़िरी चरण में हैं, जिसमें घर से काम करने की नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा.
एक सूत्र के मुताबिक़, ‘पिछले महीने रूपरेखा के मसौदे को सभी मंत्रालयों को भेजकर उनकी राय मांगी गई थी. डीओपीटी अब इसे ठोस रूप दे रहा है और जल्द ही एक आदेश जारी किया जाएगा.’
वर्क फ्रॉम होम गाइडलाइन्स में, सरकार के ‘ई-ऑफिस’ सिस्टम के इस्तेमाल को ज़रूरी बताया गया है. 75 प्रतिशत मंत्रालय और विभाग पहले ही इसका प्रयोग कर रहे हैं और 57 प्रतिशत मंत्रालयों और विभागों ने, इस सिस्टम पर अपना 80 प्रतिशत से ज़्यादा काम कर लिया है. वो मीटिंग्स के लिए एनआईसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की भी वकालत करते हैं.
मामलों की भरमार
पिछले कुछ हफ्तों में राष्ट्रीय राजधानी में, कोविड-19 के मामलों में उछाल आया है- मंगलवार को 1,600 नए मामले सामने आए, जिनसे दिल्ली में कुल संख्या 42,800 के पार हो गई.
कई मामले निर्माण भवन जैसे सरकारी दफ्तरों में देखे गए हैं, जहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का दफ्तर है. बिल्डिंग को एक वीक-एंड पर सैनिटाइज़ेशन के लिए बंद किया गया और कई सीनियर अधिकारी सेल्फ-आइसोलेशन में चले गए, जबकि दूसरों ने आने वालों को बाहर रखने के लिए, अपने दरवाज़े बंद कर लिए.
श्रम मंत्रालय और रेल भवन में भी काफी मामले सामने आए, जबकि नॉर्थ ब्लॉक में एक टॉप सिविल सर्वेंट का टेस्ट भी पॉजिटिव आ गया.
25 मार्च से शुरू हुए 66 दिन के लॉकडाउन में, सरकारी दफ्तरों में बहुत ही कम हाज़िरी रही है. लेकिन, जैसे ही देश में ‘अनलॉकिंग’ शुरू हुई, कर्मचारियों ने वापस आना शुरू कर दिया और यही वो समय था जब सरकारी भवनों में, मामलों में उछाल देखने को मिला.
डीओपीटी के 5 जून के सर्क्युलर में कहा गया था, ‘कंटेनमेंट ज़ोन में रहने वाले ऑफिसर्स/स्टाफ, दफ्तर नहीं आएंगे और घर से काम करेंगे, जब तक कंटेनमेंट ज़ोन डी-नोटिफाई न हो जाए…अवर सचिव/उप सचिव यदि केबिन साझा करते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने के लिए, वो अलग-अलग दिन ऑफिस आएंगे.
यह भी पढ़ें: भारत ने चीन के साथ राजनयिक रिश्तों को दी ज्यादा तवज्जो, सैन्य स्तरीय वार्ता जारी
‘किसी भी सेक्शन में एक समय पर, दो से ज़्यादा अधिकारी नहीं होंगे. किसी भी समय ऑफिस में 20 प्रतिशत से अधिक स्टाफ न हो, ये सुनिश्चित करने के लिए, ऑफिस के घंटों के बीच अंतराल होना चाहिए. जहां तक हो सके, ख़िड़कियां खुली रखी जानी चाहिए, जिससे हॉल्स के अंदर ठीक से हवा आ सके.’
ये सब इन कामों के अतिरिक्त होना था, जिनमें फेस मास्क का अनिवार्य इस्तेमाल, हाथों का सैनिटाइज़ेशन, जहां तक संभव हो वीडियो कॉनफ्रेंस मीटिंग्स, सोडियम हाइड्रोक्लोराइट सोल्यूशन (जो सार्स-सीओवी-2 को मार देता है) का बार-बार छिड़काव, और आने वालों पर पाबंदियां शामिल हैं.
टेस्टिंग के लिए मंत्रालय का प्रोटोकॉल
इस बीच बहुत से मंत्रालय टेस्टिंग के लिए, अपना ख़ुद का प्रोटोकॉल तैयार कर रहे हैं.
मिसाल के तौर पर स्वास्थ्य मंत्रालय में, अगर टीम के किसी सदस्य का टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो विभागाध्यक्ष को एक फॉर्म भरना होगा, जिसमें टीम के दूसरे सदस्यों की उम्र और दूसरी बीमारियां आदि की डिटेल्स देनी होंगी.
इसके बाद, एक तीन सदस्यीय समिति इसका फैसला करेगी कि किसका टेस्ट कराने की ज़रूरत है और किसे घर पर रहकर, 14 दिन का सेल्फ-क्वारेंटाइन पूरा करना है.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)