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Friday, 8 November, 2024
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बिहार कोविड-19 टेस्ट के लिए संघर्ष कर रहा है ऐसे में प्रवासियों की वापसी कोरोना की संख्या बढ़ाएगी

बिहार में 169 विशेष श्रमिक ट्रेनों से 2 लाख से अधिक प्रवासियों को वापस लाने की योजना है, लेकिन बिहार की वर्तमान परीक्षण क्षमता प्रति दिन 1,811 है.

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पटना: प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्य बिहार लौटने से कोविड-19 के मामलों में तेजी आई है. रविवार को राज्य ने 85 मामलों के साथ एक दिन की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की और वे सभी अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूर ही थे.

बिहार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि अब तक 146 प्रवासी मजदूरों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. रविवार को सामने आए 85 मामलों में से 30 महाराष्ट्र से, 22 गुजरात से और आठ दिल्ली से आए थे.

बिहार में प्रवासियों, श्रमिकों और छात्रों की वापसी एक राजनीतिक मुद्दा बन गया. जिससे नीतीश के नेतृत्व की जद (यू) -बीजेपी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा है. लेकिन केंद्र सरकार ने 4 से 9 मई के बीच राज्यों में फंसे प्रवासियों के लिए विशेष ट्रेनों की अनुमति देने के नियमों में संशोधन के बाद 86 ट्रेनों में एक लाख से अधिक लोग राज्य में लौट आए हैं.

सरकार का कहना है कि उसने कुल 169 ट्रेनों को फाइनल किया है, जिससे लगभग 2.2 लाख प्रवासी मजदूर वापस आएंगे.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र से प्रति दिन दो ट्रेनें होंगी, जबकि ‘गुजरात से ट्रेनों की संख्या भी बढ़ने की संभावना है क्योंकि गुजरात भीड़ कम करने के लिए बेताब है.’

परीक्षण क्षमता बढ़ाना

बिहार की कम परीक्षण संख्या के लिए नीतीश कुमार की सरकार को भी आलोचना का सामना करना पड़ा है और अब प्रवासियों के आने से कोविड-19 के प्रसार का बढ़ने का खतरा है. राज्य ने अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए और अधिक उपकरणों की मांग का फैसला किया है.

राज्य के कोविड-19 की नोडल अधिकारी डॉ रजनी मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘शीघ्र ही दो और केंद्र खोले जाएंगे और हमें उम्मीद है कि प्रत्येक जिले में परीक्षण सुविधाएं होंगी.’

अब तक, बिहार में सात केंद्रों पर प्रति दिन 1,811 परीक्षणों की क्षमता है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने 9 मई को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को एक पत्र भेजा, जिसे दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किया गया है, जिसमे रियल टाइम पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) परीक्षणों को करने के लिए 12 मशीनों सहित अधिक उपकरण और 86 ट्रूनैट माइक्रो-आरटी-पीसीआर मशीनों की की मांग की गई है.

डॉ अजय आलोक, जो पटना में एक निजी अस्पताल चलाते हैं ने कहा प्रवासी मजदूरों के आने के साथ, न केवल परीक्षण संख्याओं को बढ़ाने की बल्कि प्रक्रिया को भी तेज करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि देरी से अन्य व्यक्तियों के संक्रमित होने की संभावना है. वर्तमान में, परिणाम आने के लिए आठ घंटे तक इंतजार करना पड़ता है. ट्रूनैट मशीनों के साथ 2.5 घंटों में 90 परीक्षण किए जा सकते हैं.

सीएम नीतीश कुमार ने अधिकारियों से कहा है कि आपूर्ति में देरी होने पर वे सीधे निर्माताओं से मशीनें मंगवाएं.

पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ प्रभात कुमार ने कहा, ट्रूनैट मशीनों के साथ बिहार में परीक्षणों की संख्या प्रति दिन 5,000 तक बढ़नी चाहिए. प्रवासी मजदूरों के लिए परीक्षण क्वारेंटाइन केंद्रों पर किए जा सकते हैं, क्योंकि ट्रूनैट एक पोर्टेबल मशीन है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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