रामपुर : राज्य सरकारें प्रवासियों को शहरों से अपने घरों को लौटने में मदद करने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन अभी भी श्रमिकों का जाना जारी है. कुछ पैदल, साइकिलों के साथ जाते हुए दिखाई देते हैं.
दिप्रिंट के पत्रकारों की टीम कुछ के मूवमेंट को ट्रैक कर रही हैं. विभिन्न राज्यों में यात्रा करके देख रही हैं कि रिवर्स माइग्रेशन कैसे हो रहा है.
रिपोर्टर ज्योति यादव और बिस्मी टस्कीन उत्तर प्रदेश में हैं. वे तस्वीर के माध्यम से स्टोरी को बयां कर रही हैं.
यूपी के राजमार्ग जो आमतौर पर व्यस्त रहते थे, हफ्तों से खाली पड़े हैं. इसके बजाय एक किसान स्नान के लिए कोसी नदी की ओर अपने भैंसों के झुंड को ले जाता हुआ.
रामपुर-बरेली हाइवे के पास स्थित मंसूरपुर गांव की एक दूध विक्रेता नन्ही को लॉकडाउन के कारण परेशानी हुई है, जिसे मार्च में पहली बार लगाए जाने के बाद दो बार बढ़ाया गया है. मंसूरपुर गांव की पशुपालन पर चलता है.
कृषि में लगे हुए लोगों के लिए जीवन घर के अंदर रहने और कोरोनावायरस के ख़त्म होने की प्रतीक्षा करने के बारे में नहीं है. भीतरी इलाकों में वे मवेशियों और खेतों की देखभाल में व्यस्त रहते हैं.
गांवों में लौटने वाले श्रमिकों के लिए यात्रा अनिश्चितता के साथ लंबी और भयावह रही है. उनमें से कई को बंडल ले जाते देखा जा सकता है, जैसे कि यहां देखा गया है.
दिल्ली-लखनऊ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर अमरोहा के पास एक बस डिपो में थके हुए प्रवासी राज्य की बसों के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए, जो उन्हें घर ले जाएगी. इस समय सबसे पहली दुविधा है कि अपनी साइकिल को छोड़े या नहीं.
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