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Saturday, 21 December, 2024
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कोविड-19 संक्रमण से मेवात के ड्राइवरों का हुआ लॉकडाउन, सड़क पर रहने को हुए मजबूर

मेवात के इलाके में 61 ऐसे लोग हैं जो या तो विदेश से आए थे या फिर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में. सब पर निगरानी रखी जा रही है. लेकिन इस इलाके के ट्रक ड्राइवर भी देश के अलग-अलग शहर में फंसे हुए हैं.

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नई दिल्ली: हरियाणा का मेवात इलाका विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव की वजह से जाना जाता है. लेकिन यहां के लोग रोजगार के लिए ड्राइविंग पर निर्भर करते हैं इसलिए दिन रात ट्रक चलाकर परिवार का पेट पालते हैं. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में इस इलाके के ड्राइवर देश के दूसरे कोनों में फंस गए हैं. ढाबों के बंद होने के चलते उनके पास खाने-पीने के सामान खत्म हो रहे हैं. कई ट्रक ड्राइवर नमकीन-पानी और बिस्टिक खाकर गुजारा कर रहे हैं.

कोलकाता में फंसे 30 वर्षीय अरशद ने दिप्रिंट से हुई टेलिफोनिक बातचीत में कहा, ‘हम लोगों ने लॉकडाउन के शुरुआती दुकानों से राशन खरीद लिया था. ढाबे बंद हो गए हैं तो खुद ही पका रहे हैं. मैं मेवात के पुन्हाणा से हूं. परिवार इंतजार कर रहा है लेकिन मेरे साथ मेवात के ही 15 ड्राइवर और हैं.’

चार साल से ड्राइवरी के पेशे में आए अरशद के पास इंटरनेट सुविधा भी नहीं है और वो घर आना चाहते हैं. वो बताते हैं, ‘अभी तक तो सरकार का कोई नुमाइंदा नहीं आया है. सब अपने निजी स्तर पर ही बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं.’

मेवात के ही 26 वर्षीय तौफी हाल ही में अपने परिवार के पास वापस लौटे हैं. वो बताते हैं, ‘मैं जम्मू जा रहा था. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन की खबर सुनी तो मैंने ट्रक रास्ते में ही खड़ा किया और जैसे-तैसे घर लौट आया. मेरे पिता पहले बनारस में रुके हुए थे लेकिन फिर पुलिस ने जाने दिया तो फतेहपुर रोक लिए गये हैं. वो रांची से लौट रहे थे. अब ट्रक और वो यूपी में ही फंसे हुए हैं. फोन पर बातचीत हो जा रही है लेकिन खाने-पीने की दिक्कत आने लगी है.’


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चेन्नई, मुंबई, बैंगलुरु, पुणे जैसे शहरों में फंसे इन ड्राइवरों के लिए मेवात के नूंह के विधायक आफताब अहमद ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से आग्रह किया है.

आफताब लगातार ट्वीट कर देश के दूसरे हिस्सों में फंसे ड्राइवरों के बारे में जानकारी बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी ड्राइवरों के फंसे होने के वीडियो सामने आ रहे हैं. कई ड्राइवर अपने ट्रक दूसरे राज्यों में ही छोड़कर पैदल ही घर पहुंच रहे हैं.

लेकिन स्थानीय पत्रकार अख्तर अल्वी दिप्रिंट को बताते हैं, ‘लोगों में डर व्याप्त हो गया है. दरअसल जो ड्राइवर महीनों से घर नहीं लौटे थे वो अब रातों को पुलिस व स्वास्थ्य अधिकारियों को चकमा देकर घर पहुंच रहे हैं. कई सारे ड्राइवर तो उन राज्यों से आए हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज पाए गए हैं. घर आकर भी वो एकांतवास के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कई गांवों ने प्रशासन को शिकायत भी की है और अब एक्शन भी लिया जा रहा है.’

इस संदर्भ में जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विमलेश तिवारी ने बताया, ‘आज सुबह ही गुजरात से 35 वर्षीय अब्बास लौटे हैं. उनके ट्रक में कुल 35 लोग थे जिसमें मदरसे के 15 बच्चे थे और बाकी दूसरे ट्रक ड्राइवर. पुलिस ने उन्हें मेवात-रेवाड़ी बॉर्डर पर डिटेन किया. उसके बाद 8 लोगों की हमारी स्वास्थ्य टीम ने जाकर वहां चेकअप किया है. किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं.’

कोरोना से छिड़ी जंग में मेवात की तैयारियों को लेकर वो कहते हैं, ‘इस इलाके में 61 ऐसे लोग हैं जो या तो विदेश से आए थे या फिर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में. सब पर निगरानी रखी जा रही है. शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज में 163 आइसोलेशन बेड हैं और सिविल अस्पताल मांडी खेड़ा में ऐसे 20 बेड हैं. जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारियां की हुई हैं. हमने हाल ही में चार संदिग्ध लोगों के सैंपल पीजीआई रोहतक भेजे थे. जिसमें से 2 के नेगेटिव आए हैं और 2 के रिजल्ट आने अभी बाकी हैं. फिलहाल हमारे यहां दो ही लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है.’

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