नई दिल्ली : पत्रकार प्रिया रमानी ने दिल्ली की अदालत से शनिवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उनकी टिप्पणी ‘उनकी (पीड़िता की) सच्चाई’ थी, जिसका खुलासा उन्होंने ‘अच्छी भावना’ के साथ ‘लोगों के भले के लिये” किया था और इसलिए यह मानहानि जैसा नहीं है.
प्रिया ने अपने खिलाफ अकबर द्वारा दायर की गई एक निजी आपराधिक मानहानि की शिकायत की अंतिम सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा के समक्ष अपनी वकील के मार्फत से यह दलील दी.
गौरतलब है कि सोशल मीडिया और विशेष रूप से ट्विटर पर चले ‘मी टू’ अभियान के दौरान, रमानी ने 2018 में अकबर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने करीब 20 साल पहले उनके साथ गलत आचरण किया था जब वह एक पत्रकार थी.
अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था. प्रिया की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने अदालत से शनिवार को कहा कि कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति के बारे में कोई चीज सच बोलना मानहानि नहीं हो सकती, बशर्ते कि वह बात लोगों के भले के लिये कही गई हो.
उन्होंने कहा, ‘कथित मानहानि करने वाले प्रिया रमानी के ट्वीट और उनके आलेख उनकी सच्चाई है. मैं यह कह रही हूं कि यह मेरी (प्रिया की) सच्चाई है…यह सच्चाई है, अच्छी भावना से, लोगों के भले के लिये है.’ अदालत ने आठ सितंबर को आगे की दलील सुनेगी.
अकबर ने इससे पहले अदालत से कहा था कि प्रिया ने उनके खिलाफ ‘मीडिया का सबसे बड़ा दरिंदा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर उनकी मानहानि की और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा.
अकबर ने ‘मी टू’ अभियान के दौरान सामने आये महिला द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के सारे आरोपों को खारिज कर दिया है.