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सोमवार, 2 जून, 2025
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जान-माल की रक्षा के लिए मौसम विभाग के भारी वर्षा पूर्वानुमान का इस्तेमाल करना चाहिए: आईएमडी प्रमुख

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नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने मंगलवार को कहा कि पिछले पांच वर्षों में एजेंसी के भारी वर्षा के पूर्वानुमान में 30 से 40 प्रतिशत सुधार हुआ है और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के दौरान जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

उनकी टिप्पणी केरल सरकार के दावों के बीच आई है कि आईएमडी केरल के वायनाड में अत्यधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त करने में विफल रहा। तीस जुलाई को वायनाड जिले में भारी बारिश के बीच भूस्खलन की घटनाओं में 226 लोगों की मौत हो गई।

महापात्र ने यहां एक कार्यक्रम में प्रसारित वीडियो संदेश में कहा, ‘‘पिछले पांच वर्षों में आईएमडी के भारी वर्षा के पूर्वानुमान की सटीकता में 30 से 40 प्रतिशत सुधार हुआ है तथा अवलोकन नेटवर्क और संख्यात्मक मॉडलिंग प्रणालियों के विस्तार के साथ अगले पांच से सात वर्षों में इसमें 10 से 15 प्रतिशत तक और सुधार हो सकता है।’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान में आईएमडी मौसम विज्ञान उपखंड और जिला स्तर पर 24 घंटे पहले 80 से 90 प्रतिशत की सटीकता के साथ बारिश का पूर्वानुमान जताता है और पांच दिन के लिए 60 प्रतिशत की सटीकता के साथ अनुमान जताता है।

महापात्र ने कहा, ‘‘आईएमडी के अपने पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार करने के साथ इसके पूर्वानुमानों का इस्तेमाल जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए किया जाना चाहिए।’’

वैज्ञानिकों ने वायनाड में भूस्खलन के लिए वन क्षेत्र में कमी, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में खनन और लंबे समय तक बारिश के बाद अत्यधिक वर्षा की घटना को जिम्मेदार ठहराया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पिछले सप्ताह कहा था कि आईएमडी ने भूस्खलन से पहले वायनाड में केवल ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया था। हालांकि, जिले में 572 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई, जो आईएमडी द्वारा पूर्वानुमान की तुलना में बहुत अधिक थी।

महापात्र ने कहा कि भारत में मानसून के मौसम में प्रतिकूल मौसम संबंधी आपदाओं के प्रबंधन में बहुत प्रगति हुई है, क्योंकि पूर्व चेतावनी प्रणाली में सुधार हुआ है और आम जनता तथा आपदा प्रबंधकों सहित विभिन्न हितधारकों को मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी प्रदान की जा रही है।

उन्होंने कहा कि अत्यधिक भारी वर्षा की घटनाएं ऐसी प्रकृति की होती हैं, जो छोटे क्षेत्रों में होती हैं। इसलिए, ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिए बहुत गहन अवलोकन प्रणालियों की आवश्यकता होती है।

आईएमडी देश भर में वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिए लगभग 6,850 वर्षामापी यंत्रों, साथ ही उपग्रहों और राडार से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करता है।

महापात्र ने कहा कि आईएमडी मानसून के दौरान विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और जोखिम मॉडल को लागू करने की योजना बना रहा है।

आईएमडी वर्तमान में जिला स्तर पर प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान और जोखिम-आधारित चेतावनियां प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि स्थान-विशिष्ट, अति-स्थानीय पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए सामाजिक-आर्थिक मापदंडों और भू-स्थानिक जानकारी से संबंधित डिजिटल विस्तृत डेटा की आवश्यकता है।

महापात्र ने इसके लिए आईएमडी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे अनुसंधान संस्थानों, आपदा प्रबंधकों और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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