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Friday, 22 November, 2024
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नरेंद्र मोदी से मिलने से पहले गुजरात क्यों जा रहे हैं UK के PM बोरिस जॉनसन

भारत के दो-दिवसीय दौरे पर बोरिस जॉनसन, पहले गुजरात में डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद वो नई दिल्ली में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में शरीक होंगे.

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नई दिल्ली: युनाइटेड किंग्डम (यूके) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सूची में पहला अहमदाबाद पड़ाव होगा, जब वो 21 अप्रैल को भारत का अपना पहला दौरा करेंगे. दिप्रिंट को पता चला है कि जॉनसन का सबसे अधिक ज़ोर, भारत के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने पर होगा.

भारत के दो-दिवसीय दौरे पर आ रहे बोरिस जॉनसन, पहले गुजरात में डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद वो नई दिल्ली में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में शरीक होंगे. पिछले साल उन्होंने एक शिखर सम्मेलन वर्चुअल ढंग से किया था.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जॉनसन के यात्रा कार्यक्रम में गुजरात सिर्फ इस कारण से शामिल हुआ है कि राज्य का अत्यधिक लाभदायक डेयरी उद्योग ब्रिटिश और यूरोपियन डेयरी उत्पादों को बाज़ार में अधिक पहुंच दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है.


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भारत-यूके एफटीए में बाधाएं

इस विरोध को जिस चीज ने तेजी दी है वो ये है कि यूके और यूरोपीय संघ (ईयू) में भारतीय डेयरी उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है. इन देशों के नियामकों का कहना है कि भारत से निर्यात किए जाने वाले डेयरी उत्पाद, यूरोप के खाद्य सुरक्षा मानकों पर पूरे नहीं उतरते.

इसके अलावा, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के उत्पादक सिर्फ गाय का दूध बेचते हैं, जबकि भारत के निर्यातक केवल भैंस का दूध बेचते हैं, जिसे अमेरिका और कनाडा भी निर्यात किया जाता है.

भारतीय डेयरी उद्योग की एक चिंता ये भी है कि यूके और ईयू अपने यहां के डेयरी उत्पादों और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को सब्सिडी देते हैं. सूत्रों के मुताबिक उनका कहना है कि अगर भारतीय बाज़ार को इन बाज़ारों में उपभोक्ताओं के लिए खोल दिया जाए, तो वहां के उत्पादकों पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है.

इस मुद्दे पर उस समय चर्चा हुई थी, जब भारत और यूके ने इस साल जनवरी में, व्यापार सचिव ऐनी-मैरी ट्रेवेलयन के दिल्ली दौरे के दौरान एक मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की थी.

सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली ने लंदन से कहा है कि डेयरी पहलुओं पर व्यापार वार्ता के अंत की ओर बातचीत की जाएगी. इससे दोनों देशों को शुरू में व्यापार समझौते के सकारात्मक नतीजों को उजागर करने में सहायता मिलेगी और आम जनता की राय को परेशान करने से बचा जा सकेगा.

सूत्रों का ये भी कहना है कि उनसे कहा गया है कि भारतीय डेयरी उत्पाद यूरोपीय मानकों पर पूरे नहीं उतरते, हालांकि भारत ने इस काम के लिए एक मज़बूत निर्यात निरीक्षण व्यवस्था कायम की है. उनकी इन चिंताओं से उनके ब्रिटिश समकक्षियों को अवगत करा दिया गया है.

सूत्रों ने कहा कि शुरू में यूके का ज़ोर ऊंचे मूल्य वाले डेयरी उत्पाद निर्यात करने पर होगा, जिसमें बढ़ते भारतीय मध्यम वर्ग को लक्ष्य बनाकर विशिष्ट आइटम्स भेजे जाएंगे.

मोदी सरकार ने हाल में अपने कुछ साझीदारों के साथ व्यापार समझौते करने पर ज़्यादा ज़ोर दिया है. इस साल की शुरुआत से ही, भारत यूएई के साथ एक व्यापार समझौते और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक अंतरिम समझौते पर दस्तखत कर चुका है.

जॉनसन के दौरे से कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के बनासकांठा में एक नए डेयरी संयंत्र का उद्घाटन किया. उस समय मोदी ने कहा, ‘भारत हर वर्ष 8.5 लाख करोड़ रुपए मूल्य का दूध उत्पादन करता है और दूध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है’.


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‘यूके चाहता है कि डेयरी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम करे भारत’

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिए गठित भारतीय परिषद में प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी के अनुसार, ‘यूके चाहता है कि भारत डेयरी उत्पादों पर टैरिफ घटा दे’. उन्होंने आगे कहा कि दरअसल ब्रिटेन से डेयरी उत्पाद के आयात पर यूके को भारतीय उत्पादकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

मुखर्जी ने कहा, ‘ये एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से पीएम जॉनसन पहले गुजरात आ रहे हैं, चूंकि निर्यात-उन्मुख डेयरी उद्योग वहीं पर केंद्रित है…ये सही है कि भारतीय डेयरी उत्पादों पर यूके, ईयू और ऑस्ट्रेलिया में प्रतिबंध है. इसलिए, यहां का उद्योग इन देशों या क्षेत्रों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के और भी खिलाफ है. भारतीय डेयरी उद्योग इस बात से भी परेशान है कि यूके में गायों पर सब्सिडी मिलती है, इसलिए वहां के बाज़ारों में दूध के दाम कहीं ज़्यादा कम होते हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘यूके की कंपनियां चाहती हैं कि भारत डेयरी उत्पादों पर टैरिफ कम कर दे जो फिलहाल 100-150 प्रतिशत है और वो ये भी पूछ रही हैं कि क्या उनके कुछ उत्पाद विशेष महंगे बाज़ार में दाखिल हो सकते हैं. बातचीत में इस पहलू पर फोकस किया जा सकता है’.

यूके में भारत के उच्चायुक्त रह चुके जयमिनी भगवती ने कहा कि भारत और यूके अंतत: एफटीए पर दस्तखत कर लेंगे लेकिन उससे पहले कई ऐसे बिंदु हैं, जिन्हें दोनों पक्षों को दूर करना होगा.

भगवती, जो अब सामाजिक एवं आर्थिक विकास केंद्र (सीएसईपी) के एक प्रतिष्ठित फेलो हैं, ने कहा, ‘ये एक कारण है जिससे जॉनसन अहमदाबाद जा रहे हैं, क्योंकि यूके अपने कुछ उत्पाद भारत को निर्यात करना चाहता है और उसके लिए वहां के व्यवसायिक समुदाय से बात करना बहुत जरूरी है’.

भगवती के अनुसार, खासकर आईटी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं में सेवाओं के व्यापार का मुद्दा भी बातचीत में एक बाधा बनकर उभरा है.

उन्होंने आगे कहा, ‘वो नहीं चाहते कि उनके बाज़ारों में आपके सर्विस प्रोफेशनल्स की भरमार हो जाए. ये दौरा सार से अधिक दिखावे के मामले में ज़्यादा अहम होगा लेकिन दिखावे की भी बहुत अहमियत होती है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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