नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि केंद्र सरकार ने आईएएस, आईपीएस और आईएफओएस (भारतीय वन सेवा) के जम्मू-कश्मीर काडर के यूनियन टेरीटरी काडर में विलय पर फिलहाल रोक लगा दी है. चूंकि अधिकारियों ने शिकायत की थी कि इससे कनफ्यूज़न पैदा हो सकता है.
अखिल भारतीय सेवाओं के जम्मू-कश्मीर काडर का वजूद पिछले साल ख़त्म हो गया, जब मोदी सरकार ने धारा 370 को रद्द करके, राज्य को दो केंद्र-शासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ में बांट दिया था.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, जो अक्तूबर 2019 में प्रभावी हुआ. इस काडर का एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिज़ोरम-केंद्र शासित) काडर में विलय होना था. लेकिन अधिनियम में कहा गया था कि जो अधिकारी, उस समय जम्मू-कश्मीर काडर में काम कर रहे हैं, वो मौजूदा काडर में करते रहेंगे.
एजीएएमयूटी की काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी गृह मंत्रालय (एमएचए) है. जबकि दूसरे तमाम काडर्स के लिए कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार में काम कर रहे अधिकारियों ने केंद्र सरकार के सम्मुख अपनी शंकाएं व्यक्त की थीं कि विलय से कनफ्यूज़न पैदा होगा.
जम्मू-कश्मीर सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘जिनकी भर्ती 2019 में हुई है उनकी रिपोर्टिंग अथॉरिटी अलग होगी (एमएचए) और जिनकी भर्ती 2019 से पहले हुई है. उनकी रिपोर्टिंग अथॉरिटी अलग होगी (डीओपीटी).’ उन्होंने आगे कहा, ‘इससे बेकार का कनफ्यूज़न पैदा होगा.’
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि इस अलगाव से अधिकारियों की वरिष्ठता पर भी फर्क़ पड़ सकता है.’
अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र-शासित क्षेत्र काडर से आने वालों को पता होगा कि जम्मू-कश्मीर में उनकी तैनाती अस्थाई है, जबकि दूसरों को लगेगा कि उन्हें यहीं रहना है…या तो सभी ऑफिसर्स को फ्लोटिंग होना चाहिए या सभा को स्थाई रहना चाहिए.’
दिप्रिंट ने टिप्पणी लेने के लिए टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए डीओपीटी प्रवक्ता शंभू चौधरी से संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक कोई जवाब नहीं मिला था.
लेकिन, डीओपीटी के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि इस मुद्दे को केंद्र सरकार के साथ उठाया गया है और उन्होंने कहा कि विलय पर रोक लगा दी गई है.
आगे का रास्ता स्पष्ट नहीं
जम्मू-कश्मीर सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि विलय पर रोक लगा दी गई है. लेकिन 2019 के सिविल सर्विस इम्तिहान के ज़रिए जम्मू-कश्मीर काडर में किसी अधिकारी की भर्ती नहीं की जाएगी. जिनके लिए इंटरव्यूज़ जल्द होने वाले हैं.
अधिकारी ने आगे कहा, ‘उन अफसरों के लिए कोई जम्मू-कश्मीर काडर नहीं है. लेकिन स्थिति बिल्कुल साफ नहीं है कि आगे चलकर क्या होगा.’
पिछले साल ख़बर आई थी कि विलय की संभावना ने सेवारत अधिकारों में कनफ्यूज़न फैला दिया था कि आगे उनका क्या होना है.
जम्मू-कश्मीर काडर के एक सीनियर अधिकारी, जो फिलहाल सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र-शासित क्षेत्र का दर्जा एक अस्थाई प्रावधान है, तो फिर जम्मू-कश्मीर काडर के यूटी काडर में स्थाई विलय का क्या मतलब है?
इस बीच मंगलवार को शासन को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए आईएएस, आईपीएस और आएफओएस अधिकारियों के काडर बल को बढ़ाने का फैसला किया है.
मंगलवार को गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने, केंद्र-शासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के सेवा मामलों पर संयुक्त समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की. जिसके बाद आईएएस, आईपीएस,और आईएफओएस का काडर बल क्रमश: 191, 154 और 106 प्रस्तावित किया गया (लद्दाख़ के पदों के अलावा). मौजूदा काडर बल क्रमश: 137, 147 और 100 है.
अधिकारियों ने ये भी कहा कि यूटी ऑफिसर्स के लद्दाख़ में तबादले के लिए एक ट्रांसफर पॉलिसी बनाई जा रही है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा. ऑफिसर्स ने आगे कहा कि लद्दाख़ में तैनात किए जाने वाले कर्मचारियों के लिए भी, कुछ विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की योजना बन रही है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)