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Friday, 20 December, 2024
होमदेश‘पुरुष नहीं लेंगे महिलाओं के कपड़ों का माप, नहीं काटेंगे बाल’: UP महिला आयोग के प्रस्तावित सुरक्षा मानदंड

‘पुरुष नहीं लेंगे महिलाओं के कपड़ों का माप, नहीं काटेंगे बाल’: UP महिला आयोग के प्रस्तावित सुरक्षा मानदंड

विपक्षी दलों ने वैधानिक निकाय पर ‘रूढ़िवादी मानसिकता’ रखने का आरोप लगाया है, साथ ही कहा है कि इस प्रस्ताव से दर्ज़ी और जिम व्यवसाय के मालिक प्रभावित होंगे.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा नौ-सूत्रीय प्रस्ताव में शामिल कुछ महिला सुरक्षा उपायों में पुरुष दर्ज़ी को महिलाओं का माप लेने से रोकना, जिम या योगा क्लास के दौरान पुरुषों को महिलाओं को ट्रेनिंग देने से रोकना, आदि ने विवाद खड़ा कर दिया है.

विपक्षी दलों ने वैधानिक निकाय पर ‘रूढ़िवादी मानसिकता’ रखने का आरोप लगाया है, साथ ही कहा है कि इस प्रस्ताव से दर्ज़ी और जिम व्यवसाय के मालिक प्रभावित होंगे.

इस प्रस्ताव की एक प्रति दिप्रिंट ने भी देखी है, जिसमें स्कूल बसों के लिए महिला सुरक्षा गार्ड और महिलाओं के कपड़ों की दुकानों में ग्राहकों की सहायता के लिए महिला कर्मचारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने की भी सिफारिश की गई है.

इसमें यह अनिवार्य किया गया है कि दर्ज़ी की दुकानों में एक महिला सहायक महिलाओं का माप लेगी, और जिन अकादमियों में महिलाएं दाखिला लेती हैं, वहां एक महिला नृत्य शिक्षिका होगी.

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि कोचिंग सेंटर और जिम में सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए.

आयोग के पदाधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि ये सुझाव 28 अक्टूबर को महिला संगठन की बैठक में दिए गए थे.

आयोग इसके बाद राज्य सरकार से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करेगा.

आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी ने दिप्रिंट को बताया कि ये दिशा-निर्देश “बहुत ज़रूरी” हैं क्योंकि उन्हें कई जिलों में जिम ट्रेनर और पुरुष दर्जियों के बारे में महिलाओं से शिकायतें मिली हैं.

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ छेड़छाड़ नहीं है; कभी-कभी, हमें जिम ट्रेनर और डांस टीचरों और दर्जियों द्वारा ‘बैड टच’ की शिकायतें मिलती हैं. इसलिए, हमने कुछ दिशा-निर्देश प्रस्तावित करने का फ़ैसला किया, जिन्हें राज्य में कानून में बदला जाना चाहिए.”

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सैलून में केवल महिला नाई को ही महिला ग्राहकों की देखभाल करेंगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या इन दिशा-निर्देशों से दर्जियों और जिम मालिकों के कारोबार पर असर पड़ेगा, चौधरी ने कहा, “हम कोई नुकसान नहीं कर रहे हैं. पुरुष दर्जी अपनी दुकान चला सकता है, लेकिन महिलाओं का नाप लेने के लिए उन्हें महिला सहायक रखनी होगी. हमें सकारात्मक पक्ष को भी देखना चाहिए: अगर दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है, तो कई महिलाओं को अब नौकरी मिल जाएगी.”

आयोग की प्रमुख बबीता चौहान ने शुक्रवार को लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि महिला ग्राहकों को सेवा देने वाले जिम में महिला ट्रेनर को नियुक्त करना होगा. “सभी जिम ट्रेनर्स का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य है. अगर कोई महिला किसी पुरुष ट्रेनर से ट्रेनिंग लेना चाहती है, तो उसे लिखित सहमति देनी होगी.”


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विपक्ष क्या कहता है

दिप्रिंट से बात करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) की प्रवक्ता पूजा शुक्ला ने इन दिशा-निर्देशों के पीछे के विचार पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “ऐसे दिशा-निर्देश बनाकर क्या कोई मानसिकता भी बदल सकता है? तो यूपी महिला आयोग ऐसे दिशा-निर्देश क्यों प्रस्तावित कर रहा है? अगर यूपी सरकार इन्हें लागू करती है, तो यह उनकी ‘रूढ़िवादी मानसिकता’ को दिखाएगा. समानता कहां है?”

कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने इस बात पर संदेह व्यक्त किया कि क्या ये दिशा-निर्देश व्यावहारिक रूप से लागू हैं.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “इससे किसी के व्यवसाय को नुकसान हो सकता है. अगर यूपी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, तो उसे सबसे पहले अपने नेताओं को महिलाओं के खिलाफ बोलने से रोकना चाहिए. हमने कुलदीप सेंगर और चिन्मयानंद के मामले देखे हैं. सभी भाजपा से जुड़े थे.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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