नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में महज़ 20 साल के युवा की स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई. अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में भी एक कलाकार की स्टेज पर ही मौत हो गई. आसपास उसकी कला को देख रहे दर्शकों और आयोजकों को लगा कि वह एक्टिंग कर रहा है. लोग उसकी अदाकारी पर तालियां बजा रहे थे लेकिन इन कलाकारों के सडन हार्ट अटैक से प्राण पखेरू उड़ गए थे. हार्ट अटैक की ये वो घटनाएं हैं जो वायरल हुईं.
लेकिन, पिछले एक साल में कई सेलिब्रिटीज जैसे के.के (53), पूर्व ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर शेन वॉर्न (52) और पुनीत राजकुमार (45), सिद्धार्थ शुक्ला (मिस्टर इंडिया और बिगबॉस, 40), और कर्नाटक के मंत्री उमेश कट्टी जैसे कई नाम शामिल हैं जो हार्ट अटैक के कारण समय से पहले ही इस दुनिया से चले गए.
आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में हार्ट अटैक के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए है. बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों को देखते हुए हार्ट स्पेशलिस्ट का कहना है कि बढ़ता तनाव और लाइफ स्टाइल इसका बहुत बड़ा कारण है. वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की वजह कोविड भी है. लेकिन अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के मुताबिक साल 2014 से लेकर 2020 तक हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक 2014 में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 18309, 2015 में 19038, 2016 में 21908, 2017 में 23246, 2018 में 25764, 2019 में 28005 और 2020 में 28579 रही.
हालांकि, एक खास बात यह है कि 2020 की तुलना में साल 2021 में मरने वालों की संख्या 0.6 फीसदी घटी है. इन आंकड़ों पर नज़र दौड़ाएं तो पता चलता है कि पिछले 6 सालों में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या लगभग 53 फीसदी बढ़ गई है.
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महाराष्ट्र में हैं सबसे ज्यादा मामले
अगर राज्यवार बात करें तो हम पाते हैं कि महाराष्ट्र में यह संख्या सर्वाधिक रही है. महाराष्ट्र में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 10489, इसके बाद दूसरे स्थान पर केरल 3872, तीसरे नंबर पर गुजरात 2948, फिर कर्नाटक 1755 और इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान आता है जहां मरने वालों की संख्या 1588 है.
बता दें कि एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक पश्चिम बंगाल और नागालैंड ऐसे राज्य है जहां हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या शून्य रही. इसके अलावा लद्दाख में भी हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या शून्य रही है. इसके अलावा गोवा, अरुणाचल प्रदेश और लक्षद्वीप में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 10 से कम रही है.
एम्स पटना के डॉ. संजीव कुमार, एडिशनल प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, कार्डियक सर्जरी विभाग ने इस बारे में बताया, ‘पिछले पांच सालों में हार्ट अटैक के रेट्स बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफ स्टाइल और बढ़ता तनाव.’
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि साउथ ईस्ट एशिया के लोगों का जेनेटिक स्ट्रक्चर भी ऐसा है जिसकी वजह से उनमें हार्ट अटैक के चांसेज काफी रहते हैं.
‘प्रदूषण भी एक कारण है जिसकी वजह से हार्ट अटैक के ज्यादा होने के चांसेज बन जाते हैं.’
कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति को सीने में दर्द का अनुभव होता है लेकिन उसे पता नहीं लगता कि उसे हार्ट अटैक आया है. ऐसे में कैसे पता लगे कि कौन सा दर्द हार्ट अटैक का है?
कैसे पहचानें हार्ट अटैक
इस पर डॉ. संजीव ने बताया, ‘हार्ट अटैक का दर्द काफी तेज होता है और व्यक्ति को पसीना आता है. इसके अलावा दर्द सीने से शुरू होकर धीरे-धीरे कंधे, हाथों और जबड़े तक फैलता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि सामान्य दर्द होता है इसके बाद हृदय में खून का प्रवाह सही होने पर अपने आप दर्द खत्म हो जाता है.
ऐसे में मरीज को पता ही नहीं लग पाता कि उसे हार्ट अटैक हुआ था तो इसके लिए डॉ संजीव ने बताया कि ट्रॉप्ट-टी टेस्ट करवाकर यह जाना जा सकता है कि हार्ट अटैक हुआ था या नहीं.
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45-60 की आयु वालों को हो रहे सबसे ज्यादा हार्ट अटैक
आयु वर्ग के हिसाब से 45-60 साल के लोगों को अन्य आयु वर्ग की तुलना में ज्यादा हार्ट अटैक हो रहे हैं. इस आयुवर्ग में साल 2021 में मरने वालों की संख्या 11190 है. इसके बाद मरने वालों की संख्या 30 से 45 साल वालों की है, जिनकी संख्या 8544 है. तीसरे स्थान पर हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 60 साल से ज्यादा आयुवर्ग वालों की है जिनकी संख्या 5985 है.
डॉ. संजीव ने कहा, ‘चूंकि 45 से 60 साल के बीच स्ट्रेस का लेवल काफी ज्यादा होता है इसलिए व्यक्ति को हार्ट अटैक ज्यादा आता है.’
इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस उम्र में आर्टरीज (हृदय की धमनियों में) फैट जमा होने के काफी चांसेज होते हैं और हार्ट की नसें भी ब्लॉक हो जाती हैं. जिसकी वजह से इस उम्र में हार्ट अटैक्स ज्यादा होते हैं.
महिलाओं को होते हैं कम हार्ट अटैक
वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हार्ट अटैक कम आते हैं. एनसीआरबी डेटा के मुताबिक हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 24510 रही जबकि हार्ट अटैक से मरने वाली महिलाओं की संख्या 3936 रही. यानी कि महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक से मरने वाले पुरुषों की संख्या 6 गुना ज्यादा थी.
महिलाओं को कम हार्ट अटैक होने का कारण डॉ. संजीव ने हार्मोनल बताया. उन्होंने कहा कि मेनोपॉज़ के पहले तक महिलाओं में एक तरह का हार्मोन पाया जाता है जो कि उन्हें हार्ट अटैक से प्रोटेक्ट करता है. इसलिए 48-50 साल तक की महिलाओं को (जब तक उन्हें मेनोपॉज़ नहीं होता है) हार्ट अटैक की संभावना कम होती है.
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