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Friday, 24 October, 2025
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प्रत्यर्पण के बाद मेहुल चोकसी की भारत में निष्पक्ष सुनवाई न होने का जोखिम नहीं : बेल्जियम की अदालत

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नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) बेल्जियम की एक अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसा कोई जोखिम नहीं है कि भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के मामले में उसके प्रत्यर्पण के बाद भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।

अदालत ने यह रेखांकित किया कि वह यातना, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार का सामना करने के किसी भी ‘‘गंभीर जोखिम’’ के दावे को साबित करने में विफल रहा है।

एंटवर्प में अपील न्यायालय की चार सदस्यीय पीठ को एंटवर्प जिला अदालत के ‘प्री-ट्रायल चैंबर’ द्वारा 29 नवंबर, 2024 को जारी किए गए आदेशों में कोई खामी नहीं मिली, जिसमें चोकसी के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई है।

जिला अदालत ने 23 मई, 2018 और 15 जून, 2021 को मुंबई की विशेष अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को ‘‘लागू होने योग्य’’ बताया था, जिसे अपील अदालत ने 17 अक्टूबर के अपने आदेश में बरकरार रखा है। सबूतों के अभाव से संबंधित तीसरे वारंट को बेल्जियम की अदालत ने स्वीकार नहीं किया था।

अपील अदालत ने माना है कि चोकसी द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज उसके इस दावे की पुष्टि नहीं करते हैं कि वह एक राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार हो सकता है।

इसने कहा कि यह संबंधित पक्ष पर निर्भर है कि वह इस बात पर विश्वास करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रदान करे कि प्रत्यर्पण के बाद दुर्व्यवहार का वास्तविक जोखिम है।

चोकसी द्वारा दी गई इन दलीलों को खारिज करते हुए कि भारत में प्रत्यर्पित किए जाने पर मामले में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है, अपील अदालत ने माना कि उसके द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेज इसे ‘‘ठोस रूप से’’ साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं।

अदालत ने चोकसी के इस दावे को भी स्वीकार नहीं किया कि उसे भारतीय एजेंसियों द्वारा एंटीगुआ और बारबुडा से अगवा कर लिया गया था और डोमिनिका में प्रताड़ित किया गया था।

अदालत ने कहा कि भगोड़े व्यवसायी द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड इस बात का ‘‘निर्णायक संकेत’’ नहीं देते हैं कि वह एंटीगुआ में भारतीय अधिकारियों के इशारे पर अपहरण का शिकार हुआ था।

अदालत के आदेश ने भगोड़े व्यवसायी को एक बड़ा झटका दिया, जो लंदन की जेल में बंद अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ कथित तौर पर मिलीभगत करके पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुई 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांछित है। नीरव भी प्रत्यर्पण कार्यवाही का सामना कर रहा है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि 13,000 करोड़ रुपये में से अकेले चोकसी ने 6,400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है।

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि अपील अदालत ने माना है कि भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा चोकसी की गिरफ्तारी वैध थी।

उन्होंने कहा कि यह आदेश चोकसी के प्रत्यर्पण की मांग करने वाले भारत के पक्ष में अहम है। हालांकि, चोकसी के पास बेल्जियम के उच्चतम न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘बेल्जियम में मेहुल चोकसी के खिलाफ चल रही प्रत्यर्पण कार्यवाही में यह भारत के लिए पहली सफलता है।’’

चोकसी (66) अप्रैल में गिरफ्तारी के बाद से एंटवर्प जेल में बंद है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आदेश हमारे पक्ष में आया है। अदालत ने भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा चोकसी की गिरफ्तारी को वैध करार दिया है। उसके प्रत्यर्पण का पहला कानूनी रास्ता साफ हो गया है।’’

सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी में से एक को अंजाम देने में चोकसी की कथित भूमिका पर मजबूत दलीलें पेश करने में बेल्जियम के अभियोजकों को विदेश मंत्रालय और सीबीआई के भारतीय अधिकारियों द्वारा सहायता मिली।

भाषा शफीक मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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