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Friday, 29 March, 2024
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श्रद्धा हत्याकांड के बाद सामने आने वाली वो 12 ‘नृशंस’ हत्याएं जो खबरों में रहीं

पिछले महीने आफताब पूनावाला को श्रद्धा वाकर की हत्या और शव के टुकड़े करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं. ये मीडिया है जो इन्हें अचानक सुर्खियों में ले आई है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के दो युवकों ने अपने 40 वर्षीय किरायेदार को काटने के लिए अपने ‘डॉक्टरी’ हुनर का इस्तेमाल किया था. आंध्रप्रदेश के एक व्यक्ति ने एक महिला की हत्या कर उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े कर जिप पाउच में भर कर घर में रखे हुए थे. दिल्ली में एक मां-बेटे ने मिलकर एक शख्स को मार डाला और उसके शरीर को काफी दिनों तक एक फ्रिज में रखा.

जिस महीने आफताब अमीन पूनावाला को अपनी साथी श्रद्धा वालकर की बेरहमी से हत्या करने और उसके शव के टुकड़े करके महरौली के जंगल में फेंक दिए जाने के मामले में गिरफ्तारी हुई, उस महीने और भी कई ‘जघन्य’ हत्याओं ने देश भर में माहौल को गर्म बनाए रखा था.

देशभर में हत्या करने के बाद शव के अंगों को काटकर सूटकेस में भरने से लेकर उन्हें बोरवेल में फेंकने तक की कई खबरें देश सामने आईं, जिनका राष्ट्रीय मीडिया ने खुलासा किया.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अपराधों की क्रूरता कोई नई बात नहीं है. इंसानों का ऐसी हत्याओं का एक लंबा इतिहास रहा है.

आपराधिक मनोवैज्ञानिक और अधिवक्ता अनुजा कपूर ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस तरह की हत्याएं अक्सर होती रही हैं. लेकिन  आफताब पूनावाला के मामले के बाद ही मीडिया की नींद खुली है. मुझे लगता है कि यह एक थोड़े समय के लिए छाई सामूहिक हिस्टीरिया लहर है जिस पर मीडिया सवारी करने की कोशिश कर रहा है. हर एक हत्या, जिसमें शरीर को टुकड़ों में काट गया होगा, कुछ समय के लिए वह खबर बनती रहेगी. यह वैसा ही है जैसा 2012 में हुआ था, जब मीडिया ने रेप की खबरों की लहर पैदा की थी.’

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वह 2012 के दिल्ली के उस गैंगरेप और हत्या के मामले का जिक्र कर रही थीं, जिसमें दिल्ली के मुनिरका में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई थी. कुछ समय बाद लड़की की अस्पताल में मौत हो गई थी.

आइए उन 12 हत्याओं पर एक नजर डालते है जो 12 नवंबर के बाद पूनवाला को वाकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद से सुर्खियों में आई हैं.


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12 ‘जघन्य’ हत्याएं

वाकर की हत्या का मामला सामने आने के बाद, हत्या करने के बाद शरीर के अंगों को काटने वाली कई हत्याएं राष्ट्रीय खबरें बनी है.

झारखंड पुलिस ने रविवार (18 दिसंबर) को दिलदार अंसारी नामक एक शख्स को साहिबगंज में अपनी लिव-इन पार्टनर रूबिका पहाड़िन की हत्या करने और उसके कई टुकड़े करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

उसी दिन, राजस्थान पुलिस ने 11 दिसंबर को जयपुर में अपनी चाची सरोज शर्मा की हत्या करने के आरोप में अनुज शर्मा को गिरफ्तार किया था. इस मामले में संदिग्ध ने कथित तौर पर अपने शिकार को काटने के लिए एक मार्बल कटर का इस्तेमाल किया था. उसके बाद  टुकड़ों को एक सूटकेस में भरा और फिर उन्हें दिल्ली राजमार्ग के पास यहां-वहां फेंक दिया.

शुक्रवार (16 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 6 अक्टूबर को मोदीनगर में 40 वर्षीय अंकित खोकर की हत्या करने और शव के टुकड़े करने के आरोप में दो लोगों- उमेश शर्मा और परवेश कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया गया था. खोखर उमेश शर्मा के किराएदार थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि संदिग्ध ने शरीर को काटने के लिए ‘ऑर्थोपेडिक क्लीनिक में कंपाउंडर’ के रूप में काम करने के दौरान सीखे गए कथित तौर पर अपने ‘हुनर’ का इस्तेमाल किया था.

बुधवार (14 दिसंबर) को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक किसान को एक अज्ञात महिला का शव मिला. महिला का सिर और धड़ कथित तौर पर एक खेत में पाया गया, जबकि उसके अंग एक सूटकेस में पैक थे.

9 दिसंबर को, दिल्ली के पंजाबी बाग में एक नाले में एक सूटकेस में एक अज्ञात महिला का ‘क्षत-विक्षत’ शव मिला था.

8 दिसंबर को बिहार के भागलपुर में पुलिस ने 45 साल की नीलम देवी की हत्या के आरोप में 62 साल के शकील मियां को गिरफ्तार किया. संदिग्ध ने कथित तौर पर हत्या के बाद पीड़िता के अंग, कान और स्तन काट दिए थे.

6 दिसंबर को, विठ्ठल कुलाली के रूप में पहचाने जाने वाले एक 21 साल के व्यक्ति ने कथित तौर पर कर्नाटक के बागलकोट में एक तीखी बहस के बाद अपने पिता परशुराम कुलाली की हत्या कर दी थी. इसके बाद संदिग्ध ने शव को कथित तौर पर 10-15 टुकड़ों में काटा और बोरवेल में फेंक दिया.

उसी दिन, विशाखापत्तनम पुलिस ने ऋषि के रूप में पहचाने जाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया, जिसने पैसे के विवाद को लेकर धन लक्ष्मी नामक एक महिला की कथित तौर पर हत्या कर दी थी. शहर की पुलिस ने दावा किया कि संदिग्ध ने पीड़ित के शरीर के अंगों को एक जिप पाउच में भरा और 1.5 साल तक किराए के घर में एक ड्रम के अंदर संभाल कर रखा हुआ था.

नवंबर में भी इस तरह की खबरों की भरमार थी. इनमें से ज्यादातर पूनवाला की गिरफ्तारी के बाद सामने आई थीं.

श्रद्धा हत्याकांड से मिलते-जुलते एक मामले में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में मां-बेटे की जोड़ी ने कथित तौर पर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. पीड़ित की पहचान अंजन दास के रूप में हुई है, जिसे कथित तौर पर नींद की गोलियां दी गई थीं और हत्या के बाद उसके शरीर के अंगों को काटकर फ्रिज में रखा गया था. दोनों को कथित तौर पर 28 नवंबर को गिरफ्तार किया गया.

20 नवंबर को, पश्चिम बंगाल पुलिस ने दक्षिण 24 परगना के बरूईपुर में एग्जामिनेशन फीस के पेमेंट को लेकर हुए एक विवाद में एक पूर्व-नौसैनिक उज्ज्वल चक्रवर्ती की कथित तौर पर हत्या करने के आरोप में मां और बेटे की जोड़ी को गिरफ्तार किया गया था. पीड़ित के शरीर के अंग कथित तौर पर एक तालाब में तैरते हुए मिले थे.

पूनावाला की गिरफ्तारी के ठीक एक हफ्ते बाद यानी 19 नवंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रिंस यादव को उनकी पूर्व प्रेमिका आराधना प्रजापति की हत्या के आरोप में आजमगढ़ में हिरासत में लिया था. यादव ने कथित तौर पर प्रजापति के शादीशुदा होने का पता चलने के बाद उसकी हत्या की थी. हत्या के बाद उसका सिर काट दिया और उसके शरीर के टुकड़े कर दिए थे.

18 नवंबर को पंजाब पुलिस ने 36 साल के मोहम्मद इष्ट को गिरफ्तार किया था. इयाक पर 28 वर्षीय मोहम्मद सलीम का कथित तौर पर मफलर से गला घोंटने और फिर शव को एक सूटकेस में पैक करने का आरोप था.

पुलिस के मुताबिक, इश्तियाक की लाश को ट्रेन की पटरी पर ठिकाने लगाने की योजना थी, लेकिन स्टेशन पर पुलिसकर्मियों को देखकर उसने अपना इरादा बदल दिया और शव को स्टेशन के एंट्री गेट के पास छोड़कर भाग गया.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से उसे धर दबोचा था.


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‘सुर्खियों में आने वाले मामले’

भारत में हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, देश ने 2021 में 29,272 हत्या के मामले दर्ज किए. इसका सीधा सा मतलब है कि रोजाना लगभग 80 हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि दरअसल किसी की हत्या करना नहीं बल्कि ‘शव को ठिकाने लगाने का तरीका’ है जिसने वास्तव में लोगों का ध्यान खींचा है.

क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट कपूर पीड़ितों के हत्या के बाद शरीर के अंगों को काटने के पीछे के मनोविज्ञान के बारे में बता रहे हैं.

कपूर ने कहा, ‘पीड़ित के शरीर से बहता हुआ खून अपराधी को ताकत का एहसास देता है. क्योंकि पीड़ित व्यक्ति के जिंदा रहते हुए तो वह उस पर काबू नहीं पा सका था. सबसे बड़ी बात तो यह है कि ऐसे अपराधियों के बारे में मीडिया का प्रचार, क्रूर इरादे वाले अन्य लोगों को भी इस तरीके से हत्या करने के लिए प्रोत्साहित करता है. यह एक फैशन बन गया है. आफताब डेक्सटर का नकलची था, अब अन्य लोग भी उसी का अनुसरण करने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक तरह का उन्माद है.’

वह एक अमेरिकी ड्रामा सीरीज़ ‘डेक्सटर’ का जिक्र कर रही थी. यह एक फोरेंसिक तकनीशियन और सीरियल किलर के बारे में है, जो दोहरा जीवन जीता है.

कर्नाटक के बेंगलुरु में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्राइम एंड सिक्योरिटी साइंसेज में अपराध विज्ञान और अपराध विज्ञान के प्रमुख निदेशक और प्रोफेसर के. जयशंकर का मानना है कि हथियारों का आसानी से मिल जाना भी इस तरह के अपराधों का एक बड़ा कारण है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह घटना कोई नई नहीं है. लेकिन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगहों पर सर्जिकल चाकू की उपलब्धता ने अपराधियों की हथियारों तक पहुंच को आसान बना दिया है.’

उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर मामलों में शरीर के टुकड़े करने की वजह उनका गुस्सा है, जो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है.

उन्होंने कहा, ‘एक अपराधी किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अपना गुस्सा निकालने के लिए शरीर के अंगों को टुकड़े करता है, जिसके साथ उसके संबंध खराब थे. एक दम से आने वाले गुस्से की वजह से ऐसा नहीं होता है बल्कि आमतौर पर लंबे समय से रिश्तों में आने वाली खटास इसके लिए जिम्मेदार होती है. जितना ज्यादा गुस्सा, शरीर के उतने ही अंग काटे जाते हैं.’

उनका कहना है कि इससे जांचकर्ताओं के लिए मामले को सुलझाना मुश्किल हो जाता है.

उन्होंने कहा, ‘शरीर के अंग इधर-उधर बिखरे होते हैं और डीएनए मिलान में समय और संसाधनों की खपत होती है. ऐसे मामलों में 90 दिनों में चार्जशीट दायर करना बेहद मुश्किल है’ वह आगे कहती हैं,  ‘हम दोषी साबित होने तक निर्दोष’ वाले सिद्धांत के साथ चलते हैं. अपराध का सबूत जुटाने में पुलिस का काफी समय लग जाता है. ऐसे में अपराधियों को छिपने, बचने या आजादी से घूमने के लिए और समय मिल जाता है.

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य | संपादन: ऋषभ राज)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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