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Friday, 22 November, 2024
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पुलिस-किसान संगठनों की बैठक बेनतीजा, किसान बाहरी रिंग रोड पर ही निकालेंगे ट्रैक्टर रैली

बैठक के बाद ‘स्वराज अभियान’ के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हम दिल्ली के भीतर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी परेड निकालेंगे. वे चाहते थे कि यह दिल्ली के बाहर हो, जो कि संभव नहीं है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच बृहस्पतिवार को हुई दूसरे चरण की बातचीत बेनतीजा रही, क्योंकि किसान नेता अपने इस रुख पर कायम रहे कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी रिंग रोड पर ही यह रैली निकाली जाएगी.

पुलिस और किसान संगठनों के बीच बैठक के बाद ‘स्वराज अभियान’ के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस चाहती थी कि किसान अपनी ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर निकालें.

उन्होंने कहा, ‘‘हम दिल्ली के भीतर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी परेड निकालेंगे. वे चाहते थे कि यह ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर हो, जो संभव नहीं है.’’

सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने किसान संगठनों को इस बात के लिए मनाने का प्रयास किया कि वे ट्रैक्टर रैली बाहरी रिंग रोड की बजाय कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेस पर निकालें.

बैठक में शामिल एक किसान नेता ने कहा, ‘सरकार चाहती है कि हमारी रैली दिल्ली के बाहर हो, जबकि हम इसे दिल्ली के भीतर आयोजित करना चाहते हैं.’

संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र) एस एस यादव ने इस बैठक का समन्वय किया. यह बैठक सिंघू बॉर्डर के निकट मंत्रम रिजॉर्ट में हुई. बैठक में विशेष आयुक्त (विधि व्यवस्था-उत्तरी क्षेत्र) संजय सिंह, विशेष पुलिस आयुक्त (गुप्तचर) दीपेंद्र पाठक और दिल्ली, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.

इसी तरह एक बैठक किसान नेताओं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस बलों के अधिकारियों ने बुधवार को यहां विज्ञान भवन में की थी.

सूत्रों ने बताया कि उस बैठक में भी पुलिस अधिकारियों ने प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को दिल्ली के व्यस्त बाहरी रिंग रोड की बजाय कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेस वे पर आयोजित करने का सुझाव दिया था जिसे किसान संगठनों ने अस्वीकार कर दिया था.

उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. वे नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कारपोरेट घरानों की ‘कृपा’ पर रहना पड़ेगा. हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है.

किसान आंदोलन को समाप्त करने के एक प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने बुधवार को आंदोलनकारी किसान संगठनों के समक्ष इन कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा.

किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को तत्काल तो स्वीकार नहीं किया लेकिन कहा कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे. अब 11वें दौर की बैठक 22 जनवरी को होगी.

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