कोच्चि, 30 मार्च (भाषा) मीडिया यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि जनता को तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी प्रदान नहीं की जाए, केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक समाचार पत्र में प्रकाशित लेख के संदर्भ में यह टिप्पणी की जिसमें गलत तरीके से कहा गया है कि त्रिपुनिथुरा के श्री पूर्णाथ्रयीसा मंदिर में एक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में भक्तों को पापों के प्रायश्चित के रूप में 12 ब्राह्मणों के चरण धोने होते हैं।
न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पीजी अजितकुमार की पीठ ने कहा कि मंदिर का प्रबंधन करने वाले कोचीन देवस्वओम बोर्ड (सीडीबी) के अनुसार, यह तंत्री ही है जो ‘पंथरंदु नमस्कारम’ अनुष्ठान के संबंध में श्री पूर्णाथ्रयीसा मंदिर के 12 पुजारियों के पैर धोते हैं।
बोर्ड ने कहा कि किसी भी भक्त को पापों के प्रायश्चित के लिए 12 ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए नहीं कहा जाता है, जैसा कि समाचार में कहा गया है।
बोर्ड द्वारा प्रतिवेदन समाचार के आधार पर अदालत द्वारा शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान याचिका के जवाब में आया। अदालत ने याचिका इसलिये शुरू की थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या भक्तों को ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए कहा जा रहा था।
बोर्ड द्वारा अपनाए गए रुख के आधार पर अदालत ने मामले को निपटाने का फैसला किया।
याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा, “यह सुनिश्चित करना मीडिया का कर्तव्य और जिम्मेदारी है, चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट, कि वे जनता को ऐसी जानकारी प्रदान नहीं करें जो असत्यापित जानकारी के आधार पर तथ्यात्मक रूप से गलत है।”
भाषा
प्रशांत पवनेश
पवनेश
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