नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) दिल्ली के तीनों नगर निगम के एकीकरण के लिए संसद में विधेयक लाने की केंद्र की योजना के साथ ही, यहां ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ (आरडब्ल्यूए) ने निकाय विभागों के प्रदर्शन के ऑडिट और एकीकरण प्रक्रिया में नागरिक समाज की भागीदारी और बढ़ाने की मांग की है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को सोमवार को लिखे पत्र में ‘यूनाइटेड रेजिडेंट जॉइंट एक्शन ऑफ दिल्ली’ (यूआरजेए) ने तीनों नगर निगम के एकीकरण की घोषणा का स्वागत किया। इसके साथ ही यूआरजेए ने उस तरीके पर चिंता व्यक्त की जिसके अनुसार निकायों का एकीकरण किया जा रहा है।
संगठन के अध्यक्ष अतुल गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “नगर निगम को नागरिक समाज या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से सलाह लिए बिना 2012 में तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। नगर निगमों की कोई जवाबदेही नहीं है। हमारे पास कोष की कमी है और इन संस्थाओं पर भरोसा नहीं है। एमसीडी के प्रदर्शन की नियमित जांच होनी चाहिए ताकि समस्याओं को समझा जा सके और लोगों को मुद्दों से अवगत कराया जा सके।”
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार और उसके अधिकारियों द्वारा नागरिक समाज को विश्वास में लिए बिना और सार्वजनिक तौर पर संवाद किये बिना एकीकरण की प्रक्रिया की जा रही है जिससे एक बार फिर शहर के लोगों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।”
इस महीने के शुरू में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा था कि केंद्र सरकार संसद के बजट सत्र में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है जिससे दिल्ली के तीनों नगर निगम का एकीकरण किया जा सके।
दिल्ली में वर्तमान में पांच स्थानीय निकाय हैं- उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड तथा नयी दिल्ली नगर परिषद। दिल्ली का अधिकांश क्षेत्र उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के तहत आता है। इन नगर निगमों को 2012 से पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के तौर पर जाना जाता था।
तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने 2012 में एमसीडी को तीन नगर निगमों में विभाजित करने का फैसला किया था। इस कदम का विरोध करते हुए आरडब्ल्यूए ने कहा था कि इससे कोष का असमान वितरण और कुप्रबंधन हुआ क्योंकि किसी की जवाबदेही नहीं थी।
भाषा यश मनीषा
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