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शनिवार, 19 अप्रैल, 2025
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मंगलुरु में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विशाल प्रदर्शन

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मंगलुरु, 18 अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में कर्नाटक उलेमा फेडरेशन के बैनर तले शुक्रवार को अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों लोगों ने मंगलुरु के अडयार-कन्नूर मार्ग के पास विरोध-प्रदर्शन किया।

यहां तक कि एक जनहित याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित या बंद न होने देने के आदेश के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया और पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद लोगों का इस मार्ग से निकल पाना कई घंटों तक असंभव बना रहा।

शुक्रवार की नमाज़ के बाद आयोजित इस विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर्नाटक उलेमा फेडरेशन के बैनर तले दक्षिण कन्नड़ जिला काजी और उडुपी जिला काजी ने किया।

प्रदर्शन में देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगों को लहराया गया और मुख्य रूप से ‘‘अल्लाहु अकबर’’ और ‘‘आज़ादी’’ के नारे लगाए गए।

आयोजकों ने बाहर से आने वाले प्रतिभागियों के लिए व्यवस्था की थी, जिसमें आस-पास की मस्जिदों में भोजन भी शामिल था। जुमे की नमाज़ के बाद मस्जिदों से सीधे आने वाले लोगों के साथ कार्यक्रम स्थल शाह मैदान निर्धारित समय से काफी पहले ही भर गया था जिसके बाद पूरा राजमार्ग प्रदर्शनकारियों की भीड़ से जाम हो गया।

भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए, पुलिस ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी, जिसके तहत पांच पुलिस अधीक्षक, 20 पुलिस उपाधीक्षक, कई पुलिस निरीक्षक और केएसआरपी (कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस) और सशस्त्र पुलिस सहित रिजर्व बलों की 40 से अधिक प्लाटून तैनात की गई थीं।

प्रारंभ में बृहस्पतिवार को पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग को दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक बंद करने की घोषणा की थी लेकिन एक जनहित याचिका द्वारा इसे चुनौती दिए जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिये थे कि वह यह सुनिश्चित करे कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित न हो जिसके चलते पुलिस को अपनी घोषणा वापस लेनी पड़ी थी।

उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाया कि विरोध प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक राजमार्गों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है।

इसके बावजूद बी सी रोड से पाटिल तक भारी जाम लग गया जिससे लोग घंटों तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे रहे।

इस बीच, वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शफी सादी ने कहा, ‘‘जिन्होंने हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया, वे पांच मई को जनता का सामना करेंगे।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘किसी भी वक्फ बोर्ड ने मंदिरों या कृषि भूमि पर कब्जा नहीं किया है। शाह बानो मामले की तरह, हम इस कानून को वापस लेने तक लड़ेंगे।’’

भाषा इन्दु शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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