नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) निर्धारित करने के लिए 26 जुलाई तक कोई तोड़-फोड़ नहीं करे कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी या नहीं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वाराणसी जिला अदालत के आदेश को 26 जुलाई शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाएगा.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति को एएसआई सर्वेक्षण पर वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का आदेश पारित किया.
याचिका में वाराणसी हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने को कहा है, जिसमें एएसआई को यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर पर किया गया था या नहीं.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलील का संज्ञान लिया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए.
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को एएसआई की टीम को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि मस्जिद परिसर में ‘तोड़-फोड़ का कोई कार्य’ या खुदाई नहीं होनी चाहिए.
पीठ ने कहा, “हम (याचिका पर) दोपहर दो बजे सुनवाई करेंगे.”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है ताकि अंजुम को हाई कोर्ट के समक्ष इसे चुनौती देने की अनुमति मिल सके.”
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगाने के आदेश के बाद डीएम वाराणसी ने कहा, “हम अदालत के आदेश का पालन करेंगे.”
वाराणसी की एक अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वज़ूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी थी.
जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश ने एएसआई को सर्वेक्षण कार्यवाही की वीडियो क्लिप और तस्वीरों के साथ चार अगस्त तक अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
वाराणसी में एएसआई की टीम ने सोमवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की शुरुआत की, लेकिन करीब चार घंटे के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई रोक दी गई.
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने सोमवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की कार्रवाई को 26 जुलाई शाम तक के लिए रोकने का निर्देश दिया है, जिसको देखते हुए सर्वेक्षण पर रोक लगा दी गई है.
जैन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई की शाम तक के लिए जिला जज के सर्वे की कार्यवाही के आदेश पर रोक लगाई है. हम दो दिन के अंदर हाई कोर्ट में इस पर बहस करेंगे. मुस्लिम पक्ष की तरफ से गलत बयान दिया जा रहा है कि परिसर में तोड़ फोड़ की जा रही है, जबकि परिसर में सर्वे के दौरान सिर्फ पैमाइश और मैपिंग का कार्य किया जा रहा है.”
सर्वे की कार्रवाई से बाहर निकलने के बाद हिंदू पक्ष के एक अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया, “सर्वेक्षण की कार्रवाई लगभग चार घंटे चली है. पहले पूरे परिसर का मुआयना और पैमाइश की गई. चार टीमों को चारों कोने पर लगाया गया था. सर्वे के दौरान चार कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाकर सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया है. परिसर में लगे पत्थर और ईंटों का मुआयना किया गया.”
चतुर्वेदी ने दावा, “हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है और सर्वे का परिणाम हमारे पक्ष में ही आएगा.”
इसके पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 30 सदस्यीय टीम ने सोमवार सुबह सात बजे वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर तो नहीं बनाई गई है.
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