scorecardresearch
Wednesday, 11 December, 2024
होमदेशNASA के परसेवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर धूल के बवंडर से आने वाली आवाजों को रिकॉर्ड किया

NASA के परसेवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर धूल के बवंडर से आने वाली आवाजों को रिकॉर्ड किया

पिछले साल नासा के परसेवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर बार-बार आने वाले तूफानों में से एक की आवाज को रिकॉर्ड किया था. नेचर कम्युनिकेशंस जरनल में इससे जुड़ा एक निष्कर्ष प्रकाशित किया गया है.

Text Size:

बेंगलुरू: ‘मंगलग्रह पर धूल भरा एक बवंडर, जब माइक्रोफोन के पास से होकर गुजरा तो उसने कैसी आवाज की’ आप इसे एक रिकॉर्डिंग में सुन सकते हैं. नासा के परसेवेरेंस रोवर ने पिछले साल सितंबर में यहां बार-बार आने वाले तूफानों में से एक की आवाज को रिकॉर्ड किया था. मंगल ग्रह पर चलने वाली हवाओं की आवाज को पहली बार रिकॉर्ड किया गया है.

परसेवेरेंस की ओर से हाल ही में जारी किए गए डेटा में से एक के निष्कर्ष इस सप्ताह नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित किए गए थे.

मंगल ग्रह पर तुफान आना आम हैं . सतह पर यह एक छोटे-बवंडर की तरह दिखाई देते हैं और एक-जगह से दूसरी जगह भागते रहते हैं. खासतौर पर दिन के समय आने वाले ये तूफान, दूर सूरज से वायुमंडल की महीन परतों में संवहन द्वारा पैदा होते हैं. परसेवेरेंस रोवर की लैंडिंग साइट जेजेरो क्रेटर के क्षेत्र में इनका होना काफी आम है.

ये बवंडर ग्रह पर गर्मी, धूल और सतह के खनिजों के मिश्रण और फैलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और वायुमंडलीय अशांति के संकेतक हैं.

डस्ट डेविल को समझना और वह कैसे बनते हैं? यह आने वाले समय में अंतरिक्ष की खोज व लाल ग्रह पर मानवीय यात्राओं के लिए मंगल ग्रह की प्रणाली को समझने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. वैज्ञानिकों ने भी इन मौसम की घटनाओं का अनुकरण करते हुए मंगल ग्रह पर धूल भरी आंधियों की भविष्यवाणी की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जितना ज्यादा धूल भरी आंधियों और बवंडरों के बारे में समझेंगे, उतना ही हमें भविष्यों के मिशनों में आसानी होगी और साथ ही ये भी समझ पाएंगे कि मंगल ग्रह पर रोबोट का हार्डवेयर कैसे चलेगा और कैसे काम करेगा.

परसेवेरेंस से जारी किए गए हाल के डेटा में धूल के बवंडर की आवाज को उस समय रिकॉर्ड किया गया था, जब वह उसके ऊपर से होकर गुजरा था. रोवर में माइक्रोफोन और कैमरे लगे हैं जो मंगल ग्रह पर तस्वीरें लेने और आवाज रिकॉर्ड करने का काम करते हैं.

डेटा वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेंगे कि ये तूफान आखिर कैसे बन रहे हैं. इसके अलावा माइक्रोफ़ोन ने डस्ट डेविल के कणों के घनत्व के बारे में जानकारी देते हुए, रोवर से टकराने वाले रेतीले कणों की आवाज़ों को भी कैप्चर किया है.

फ्रांस के टूलूज़ यूनिवर्सिटी के नाओमी मर्डोक और उनके सहयोगियों ने मंगल ग्रह पर यहां से वहां जाने वाले बवंडर की आवाज़ रिकॉर्ड की थी. यह बवंडर 27 सितंबर, 2021 को सीधे परसेवेलेंस के ऊपर से होकर गुज़रा था. उसी समय रोवर के सुपरकैम माइक्रोफोन ने इस डस्ट डेविल की आवाज़ को रिकॉर्ड कर लिया था.

बताया गया कि जैसे ही बवंडर रोवर के पास से होकर गुजरा, रोवर का नेविगेशन कैमरा (Navcam) और मार्स एनवायरनमेंटल डायनेमिक्स एनालाइज़र (MEDA) उपकरणों ने भी डेटा की रिकॉर्डिंग कर ली थी.

Images taken of the direct dust devil encounter by Perseverance rover’s Navigation Camera (Navcam). The images have been processed to show the quantity of dust. The colour scale ranges from lowest dust content (blue) to highest dust content (yellow) | Photo: NASA/JPL-Caltech/Space Science Institute/ISAE-SUPAERO


यह भी पढ़ें: देश को आर्टिलरी गन का 155 मिलियन डॉलर का पहला एक्सपोर्ट ऑर्डर मिला, कल्याणी ग्रुप करेगा आपूर्ति


‘गीज़ा के पिरामिड की ऊंचाई का नौवां -दसवां हिस्सा’

MEDA उपकरण में सात रेडिएशन एवं डस्ट सेंसर और आठ डिटेक्टर लगे हैं जो वायुमंडलीय दबाव में होने वाले परिवर्तन को रिकॉर्ड कर लेते हैं. इससे यहां आने वाले तूफानों के बारे में जानकारी मिल पाती है. पहले 216 सोल (मंगल ग्रह के दिन) में आए 91 बवंडरों के बारे में पता चला था. 167वें सेकंड के दौरान जब सितंबर में ये बवंडर रोवर के ऊपर से गुजरा, उपकरणों ने वायुमंडलीय दबाव में गिरावट का पता लगाया.

मिशन शुरू होने के बाद दर्ज किए गए धूल के बवंडर के पुराने डेटा के साथ हाल ही में दर्ज किए गए तूफान के डेटा को एक साथ रखकर टीम ने निष्कर्ष निकाला कि सितंबर में रोवर ने संयोग से जिस डस्ट डेविल का सामना किया है वह ग्रह को समझने के लिए काफी फायदेमंद रहेगा.

सुपरकैम माइक्रोफोन में रिकॉर्डिंग हवा के झोंकों के बारे में बताने के लिए दो-तीन सेकंड के लो-फ्रीक्वेंसी सिग्नल को दिखाती है. यह उस समय की रिकॉर्डिंग है जब उपकरण तूफान के सेंटर में था.

दबाव में यह गिरावट रोवर के पास तापमान में वृद्धि के साथ मेल खाती है.

बवंडर से लिए गए ट्रेजेक्टरी से टीम ने निष्कर्ष निकाला कि धूल की हाईएस्ट डेंसिटी भंवर के केंद्र में थी, न कि तूफान की उच्च हवा वाले क्षेत्रों में.

जब परसेवेरंस रोवर बवंडर के नजदीक था, तो उसने हवा की गति 2 m/s (मीटर प्रति सेकंड) से कम रिकॉर्ड की, जो माइक्रोफ़ोन की संवेदनशीलता की सीमा थी.

The relative size of the dust devil with respect to the Perseverance rover | N. Murdoch / ISAE-SUPAERO
परसेवेरेंस रोवर के संबंध में धूल शैतान का सापेक्ष आकार | एन. मर्डोक / ISAE-SUPAERO

मल्टी-इंस्ट्रूमेंट डेटा और बाद की मॉडलिंग ने टीम को इन बवंडरों की विशेषता को समझने में सहायता की. यह 25 मीटर चौड़ा था और अपने ऊपर से गुजरने वाले रोवर से लगभग 10 गुना बड़ा था. धूल का यह भंवर कम से कम 118 मीटर लंबा था, गीज़ा में ग्रेट पिरामिड की ऊंचाई का लगभग नौ-दसवां हिस्सा.

निष्कर्ष बताते हैं कि अन्य स्थलीय ग्रहों से साउंड डेटा प्राप्त करना उनकी वायुमंडलीय संरचना का अध्ययन करने के लिए फायदेमंद रहेगा. मंगल ग्रह पर उठने वाले डस्ट डेविल को समझने के लिए यह खासतौर पर सच है.

फिलहाल तो परसेवेरेंस अपने मिशन में लगा हुआ है. माइक्रोफ़ोन डेटा के साथ अधिक मल्टी-इंस्ट्रूमेंट रिकॉर्डिंग से लाल ग्रह की अन्य़ जगहों पर भी धूल के बवंडर और उनके बारे में अतिरिक्त जानकारी पाने की उम्मीद है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य)


यह भी पढ़ें: 5 मिनट की उड़ान; 2 भारतीय और 1 विदेशी पेलोड के साथ भारत के पहले निजी रॉकेट ने भरी उड़ान


share & View comments