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Sunday, 8 September, 2024
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स्पाइसजेट मध्यस्थता मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मारन की याचिका खारिज

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नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने स्पाइसजेट को राहत देते हुए शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कलानिधि मारन और केएएल एयरवेज की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें विमानन कंपनी को मीडिया उद्यमी और उनकी कंपनी को ब्याज समेत 579 करोड़ रुपये लौटाने को कहा गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने 31 जुलाई, 2023 को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह को मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज को ब्याज समेत 579 करोड़ रुपये वापस करने को कहा गया था।

इसके साथ ही न्यायालय ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के 20 जुलाई, 2018 को दिए गए निर्णय को सही ठहराया था।

एकल न्यायाधीश की पीठ के इस फैसले को चुनौती दी गई। इस पर विचार करते हुए इस साल 17 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था।

खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश के खिलाफ सिंह और स्पाइसजेट की अपील को स्वीकार कर लिया तथा मध्यस्थता न्यायाधिकरण के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए मामले को संबंधित अदालत को वापस भेज दिया था।

मारन और केएएल एयरवेज ने फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने मारन और उनकी कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलों को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘नहीं, नहीं…हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसे वापस (उच्च न्यायालय में) जाने दीजिए।’’

उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले की भी आलोचना की और कहा कि इसमें ‘‘विवेक का इस्तेमाल’’ नहीं किया गया।

न्यायालय ने कहा, ‘‘सबसे पहले एकल न्यायाधीश के आदेश पर आते हैं… एकल न्यायाधीश के बारे में हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि वह 250 पृष्ठ भर रहे हैं और धारा 34 (मध्यस्थता और सुलह अधिनियम) के तहत कोई निर्णय नहीं लिख रहे हैं।’’

न्यायालय ने सुझाव दिया कि अब इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा किसी अन्य न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वह खंडपीठ द्वारा मामले को नए सिरे से तय करने के लिए एकल न्यायाधीश के पास वापस भेजने के तर्क से सहमत है।

एकल न्यायाधीश ने मारन और केएएल एयरवेज के पक्ष में 20 जुलाई, 2018 को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के दिए गए निर्णय को बरकरार रखा था। सिंह ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

यह मामला जनवरी, 2015 से संबंधित है जब सिंह ने मारन से बंद हो चुकी एयरलाइन को दोबारा खरीदा था। मारन के सन नेटवर्क और उनकी निवेश इकाई केएएल एयरवेज ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंह को बेची थी। इस सौदे से संबंधित लेनदेन विवादों में आने पर मामला मध्यस्थता में चला गया था।

इस बीच स्पाइसजेट ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना की।

एयरलाइन ने एक बयान में कहा, ‘‘कलानिधि मारन और केएएल एयरवेज द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा एयरलाइन के पक्ष में दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली अपील को खारिज करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्पाइसजेट लिमिटेड स्वागत करती है।’’

भाषा

देवेंद्र प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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