नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) कोविड-19 से उबरने के कुछ दिन बाद दो वर्षीय एक बच्चे के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और वह 16 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा।
कोविड-19 से उबरने के बाद, पिछले साल दिसंबर में बच्चे को खांसी की समस्या हुई। इसके बाद उसे तेज बुखार हुआ और सांस संबंधी समस्या होने लगी। उसके माता-पिता उसे एक स्थानीय अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी स्थिति और खराब हो गई। जब बच्चे की सांस रुकने लगी, तो उसका परिवार उसे द्वारका स्थित निजी अस्पताल आकाश हेल्थकेयर लेकर गया, जहां उसे दिल का दौरा पड़ गया।
आकाश हेल्थकेयर में बाल चिकित्सा एवं नियोनेटोलॉजी विभाग के प्रमुख एवं वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सैयद मुस्तफा हसन ने कहा, ‘‘ अस्पताल पहुंचने के कुछ ही मिनट बाद, बच्चे को दिल का दौरा पड़ गया। मैं एक चिकित्सक के तौर पर विशेष रूप से इस बात से परेशान था कि बच्चे की आयु मात्र दो वर्ष है। बच्चे की आगे की जांच में पता चला कि वह ‘मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन’ (एमआईएस-सी) से पीड़ित था। यह ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें बच्चे का खुद का शरीर उसके कई अंगों को नष्ट करना शुरू कर देता है। इसी के परिणामस्वरूप उसके फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क और गुर्दों को काफी नुकसान पहुंचा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बच्चा मूत्र त्याग नहीं कर पा रहा था, जिसके कारण उसकी स्थिति गंभीर थी। उसे कोविड के बाद स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के परिणामस्वरूप बोलने में दिक्कत आ रही थी। हमने उसके शरीर से सभी अपशिष्ट बाहर निकालने के लिए ‘कन्टीन्यूअस रीनल रीप्लेसमेंट थैरेपी’ शुरू की, जो लगातार 60 घंटे तक चली। संक्रमण को खत्म करने के लिए, हमने साइटोसॉरब डायलिसिस फिल्टर लगाया। हमने उसके रक्तचाप को सामान्य करने की भी कोशिश की।’’
बच्चा आईसीयू वार्ड में 16 दिन वेंटिलेटर पर रहा। विशेषज्ञों के दल के प्रयास से उसकी हालत में समय के साथ सुधार हुआ और उसे अंतत: अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
बाल रोग नेफ्रोलॉजी में सलाहकार डॉ. नेहा भंडारी ने कहा, ‘‘ यह अत्यंत दुर्लभ मामला था और एक प्रतिशत से भी कम बच्चों को इस प्रकार का संक्रमण होता है।’’
आकाश हेल्थकेयर के बाल रोग एंड नियोनेटोलॉजी विभाग में सलाहकार डॉ. समीर पूनिया ने कहा कि बच्चों को दिल का दौरा पड़ना आम बात नहीं है, लेकिन ऐसा हो सकता है, इसलिए सभी बच्चों की चिकित्सक से नियमित जांच कराई जानी चाहिए।
भारत के कई बड़े अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आए है, जब कोविड-19 से उबरने के बाद बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है, जो घातक भी हो सकती हैं।
भाषा सिम्मी उमा
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