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Saturday, 16 November, 2024
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कांग्रेस की मनरेगा ही पार लगाएगी मोदी के जल शक्ति अभियान की नैया

मोदी सरकार मनरेगा के तहत जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, परंपरागत तालाबों और जलाशयों की मरम्मत, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर और वृक्षारोपण काम करवाएगी.

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नई दिल्ली: भले ही मोदी सरकार बार-बार कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती हो लेकिन मोदी सरकार 2 की सबसे महत्वाकांक्षी जल शक्ति अभियान को गति कांग्रेस पार्टी की सबसे प्रमुख योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से ही मिलेगी. मनरेगा गरीबों के उत्थान के लिए कांग्रेस सरकार के समय शुरू की गई योजना है, जिसकी पहुंच देश के गांव-गांव तक है. जल शक्ति अभियान के दौरान जल संरक्षण के अधिकांश कार्य मनरेगा के तहत ही किए जाएंगे. सरकार ने पानी बचाने के अभियान के लिए कुल पांच प्रकार के कार्यों की योजना बनाई है.

इसमें चार काम मनरेगा के ज़रिए करवाए जाएंगे. इसमें जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, परंपरागत तालाबों और जलाशयों की मरम्मत, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर और वृक्षारोपण का काम शामिल है. वहीं सिर्फ वाटरशेड डेवलपमेंट का काम इंट्रीग्रेटेड वाटरशेड मैनजमेंट प्रोग्राम के तहत करवाया जाएगा.

मनरेगा के ​तहत बीते पांच वर्षों 38 लाख से अधिक तालाब और पांच लाख से ज़्यादा चैक डैम बनवनाए गए हैं. सरकार ने पानी की कमी से जूझ रहे 256 ज़िलों के 1593 ब्लॉक में इस कार्यों को शुरु करने के निर्देश दे दिए हैं.


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मनरेगा जल शक्ति अभियान का प्रमुख भागीदार

2014 में मनरेगा की पहली अनुसूची में बदलाव किया गया था. इसमें 60 प्रतिशत की राशि कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर खर्च करने का प्रावधान किया गया था. इनमे जितने प्रकार के कार्य करने की अनुमति है उसमे से 75 प्रतिशत काम जल और जल संरक्षण के प्रयासों सें जुड़े है. इसका परिणाम यह निकला ​कि बीते पांच वर्षों में 143 लाख हेक्टेयर जमीन को फायदा हुआ. मंत्रालय का मानना है कि ‘मनरेगा जल शक्ति अभियान में एक प्रमुख भागीदार है.’

तालाबों के पानी भरने पर फोकस

ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 5.14 लाख कुएं, 2.02 लाख तटबंध, 18.10 लाख खेत तालाब, 20.03 लाख तालाब, 5.22 लाख चैक डैम 2014 से 2019 के दौरान मनरेगा के तहत बनाए गए है. कुछ तालाबों में बारिश का पानी नहीं जमा हो पा रहा है तो उन तालाबों को भी मनरेगा के तहत ठीक किया जाएगा.सरकार का फोकस अब पुराने तालाबों को ठीक कर उन में पानी भरना है. मनरेगा के तहत इसी तरह के काम होते रहे हैं अब सरकार चाहती है कि रोज़गार देने के साथ- साथ उसकी इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए जो मानव संसाधन चाहिए वो भी मिल जायें. विशेषज्ञ कहते है, ‘मोदी के पहले कार्यकाल में एक समय था जब मनरेगा को खत्म करने का सरकार मन बना रही थी क्योंकि वो लोगों के लिए काम नहीं ढ़ूंढ पा रही थी.’ अब मनरेगा का हाथ थाम कर मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल की सबसे महत्वाकांक्षी योजना को पार लगाना चाहती है.


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राज्यों को उठाना होगा नल से जल योजना का आधा खर्च

अगस्त माह से शुरु होने वाले जल जीवन मिशन का आधा खर्चा राज्यों को उठाना पड़ सकता है. इस मिशन में करीब 3,60,000 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है. इसके चलते राज्यों को अगले पांच वर्षों में 1,80,000 करोड़ रूपए खर्च करने होंगे. इस योजना में जो भी खर्च आएगा उसे केंद्र राज्य 50:50 राशि अदा करेंगे.

वहीं पूर्वोत्तर के आठ राज्य और उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के लिए खर्च का अनुपात 90:10 होगा. इसमें 90 प्रतिशत केंद्र सरकार और 10 राज्य सरकार वहन करेगी. केंद्र शासित राज्यों में पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी. इस योजना में गांवों में रहने वाले परिवारों को साफ पीने का पानी उपलब्ध करवाना है. जल्द ही कैबिनेट योजना के इस मसौदे को अंतिम रूप देगी.

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