नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ऐसे आखिरी सच्चे भारतीय राजनेता थे जिन्हें वह निजी तौर पर जानते थे और सिंह ने सार्वजनिक जीवन में रहते हुए यह दिखाया कि “सियासत में शराफत” के लिए अभी भी जगह है।
गांधी ने को यहां ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (आईआईसी) में अपनी पुस्तक ‘द अनडाइंग लाइट: ए पर्सनल हिस्ट्री ऑफ इंडिपेंडेंट इंडिया’ के विमोचन के दौरान यह टिप्पणी की।
उनका कहना था कि सिंह के निधन के साथ भारत के सार्वजनिक जीवन में शालीनता के संदर्भ में एक शून्य पैदा हो गया है।
सिंह का पिछले साल 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
गांधी ने कहा, ‘‘डॉ. मनमोहन सिंह आखिरी जीवित भारतीय राजनेता थे जिन्हें मैं जानता हूं… वह कार्यालय में होते थे, ‘वाररूम’ में नहीं। उनकी मेज एक डेस्क थी, यह युद्ध बोर्ड नहीं थी। उनकी कलम लिखती थी, वह फरमान नहीं सुनाते थे। सियासत राजनीति के लिए एक हिंदुस्तानी शब्द है और ‘शराफत’ ईमानदारी और शालीनता के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है। मनमोहन ने दिखाया है कि सियासत में शराफत के लिए जगह है।’’
इस विमोचन कार्यक्रम में सिंह की पत्नी गुरशरण कौर पर भी मौजूद थीं।
गांधी ने कहा एक अच्छे इंसान के जाने से भारतीय क्षितिज अंधकारमय हो गया है।
उनकी किताब का औपचारिक विमोचन अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने किया।
कार्यक्रम के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया और प्रोफेसर रुद्रांग्शु मुखर्जी ने पुस्तक पर परिचर्चा की।
भाषा हक हक रंजन
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