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Saturday, 23 November, 2024
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मणिपुर हिंसा : भारतीय सेना ने कहा- कुछ लोग अपने फायदे के लिए फैला रहे झूठ, फर्जी वीडियो से रहें अलर्ट

सेना ने कहा है कि हानिकारक तत्व अपने निहित स्वार्थों के लिए असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो फैला रहे हैं. भारतीय सेना सभी से गुजारिश करती है कि सिर्फ आधिकारिक और वेरीफाइड माध्यमों वाले कंटेंट पर ही भरोसा करें.

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नई दिल्ली : मणिपुर में जनजातीय समूहों के कई जिलों में रैली के बाद राज्य में बाधित हुई कानून व्यवस्था को लेकर भारतीय सेना नागरिकों से अपील की है कि केवल आधिकारिक और वेरीफाइड सोर्स वाले कंटेंट पर ही भरोसा करें.

भारतीय सेना ने यह चिंता तब जाहिर की है जब मणिपुर में सुरक्षा की हालत को लेकर कई सारे फर्जी वीडियो फैलाए जा रहे हैं. भारतीय सेना स्पीयर कॉर्प्स ने ट्वीट किया है, ‘हानिकारक तत्वों द्वारा अपने निहित स्वार्थों के लिए असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो समेत मणिपुर में सुरक्षा की स्थिति पर नकली वीडियो प्रसारित कर रहे हैं. भारतीय सेना सभी से गुजारिश करती है कि सिर्फ आधिकारिक और वेरीफाइड माध्यमों वाले कंटेंट पर ही भरोसा करें.’

इससे पहले 4 मई को, वनों की रक्षा के लिए हाईकोर्ट के कदम का अवैध अप्रवासियों के विरोध की वजह से तनाव के बीच राज्य में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं. मणिपुर सरकार ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, ‘मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर द्वारा एक रैली में युवाओं और विभिन्न समुदायों के वॉलंटियर के बीच लड़ाई की घटनाओं के बीच राज्य में पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं.’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दो बैठकें कीं और पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा को लेकर मणिपुर और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की थी. शाह ने मणिपुर के पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बातचीत की थी.

सूत्रों ने कहा कि राज्य में बीएसएफ की कई कंपनियां, सीआरपीएफ और असम राइफल्स के साथ सेना को तैनात किया गया है व वहां और अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया जाएगा.

यह हिंसा 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आहूत ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुड़ाचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में इंफाल घाटी में मैतेई बहुल वाले समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में हिंसा भड़क गई थी.

मणिपुर के कई जिलों में जनजातीय समूहों द्वारा रैलियां निकालने के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने राज्य में मोबाइल इंटरनेट को पांच दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध और राज्य के कई जिलों में रात्रि कर्फ्यू लगा दिया गया है.

हालात के मद्देनजर, गैर-जनजातीय बहुल वाले इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थाउबल, जिरीबाम और बिष्णुपुर जिलों में, और जनजातीय बहुल वाले चूड़ाचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनोपाल में कर्फ्यू लगाया गया है.

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रविरोधी तत्वों के मुकाबले के लिए और राज्य में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

सूत्रों ने कहा कि विभिन्न जिलों में अवैध प्रवासियों की पहचान के अभियान चलाने को लेकर एक उप-समिति का गठित की गई है. उन्होंने कहा कि डेटा और जमीनी रिपोर्ट इकट्ठा करने के लिए मणिपुर जनसंख्या आयोग का गठन किया गया है.

राज्य सरकार म्यांमार के नागरिकों के लिए अस्थायी शिविरें भी बना रही है, जो कि प्रदेश में घुस आए हैं.

मैतेई को एसटी का दर्जा देने के विरोध में हजारों जनजातियां जो कि राज्य की आबादी की 40 फीसदी हैं, ने जुलूस, तख्तियां और नारेबाजी की.


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