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अपने अलग अंदाज के लिए जाना जाता है मंगलुरु का दशहरा उत्सव

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मंगलुरु (कर्नाटक) 30 सितंबर (भाषा) मैसूर का दशहरा उत्सव वैसे तो कर्नाटक में सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है, लेकिन तटीय शहर मंगलुरु के दशहरे का अपना अलग ही अंदाज है, जिसका श्रेय कुद्रोली गोकर्णनाथ मंदिर को जाता है।

यह मंदिर दशहरा जुलूस के आयोजन, नवदुर्गा की मूर्तियों की स्थापना और उत्सव में रंग भरने तथा इसे उल्लास भरा बनाने में अग्रणी भूमिका निभाता है।

आयोजकों ने इस वर्ष मंगलुरु के दशहरा जुलूस में पांच लाख से अधिक लोगों के जुटने और नवरात्रि के दौरान मंदिर में 12 लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान जताया है। यह मैसूर के दशहरा उत्सव में जुटने वाली भीड़ के बराबर है।

मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि हालांकि, मंगलुरु के दशहरे को मैसूर के प्रसिद्ध उत्सव की तरह सरकारी या शाही संरक्षण प्राप्त नहीं है।

मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्यसभा सदस्य बी. जनार्दन पुजारी ने कहा कि दशहरा का पूरा खर्च मंगलुरु के भक्तों और परोपकारियों द्वारा वहन किया जाता है।

तीन अक्टूबर से शुरू होने वाले दशहरा उत्सव की तैयारियों की देखरेख करते समय ‘पीटीआई भाषा’ से पुजारी ने कहा, ‘इसे आम आदमी का दशहरा कहा जाने लगा है। हमें कोई शाही संरक्षण या सरकारी सहायता नहीं मिलती है, सभी उत्सव 13 दिनों के होते हैं।’

मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर क्षेत्र ने वर्ष 1991 में दशहरा उत्सव के लिए नवदुर्गा को प्रतिष्ठित करने की परंपरा शुरू की थी। पुराणों में वर्णित नवदुर्गा को उनके विभिन्न अवतारों में यहां स्थापित किया जाता है, जो कुद्रोली मंदिर की विशेषता बन गई है।

मंदिर प्राधिकारियों ने बताया कि यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है।

मंदिर के कोषाध्यक्ष पद्मराज रमैया ने बताया कि शारदा मठ की मूर्ति को देश की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक माना जाता है।

उन्होंने बताया कि नवरात्रि के अंतिम दिन विजयादशमी पर भव्य जुलूस में पांच किलोमीटर लंबी (75 से अधिक) झांकियां शामिल होती हैं जो पूरे राज्य से और कुछ बाहर से आती हैं।

उनके अनुसार कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल और आंध्र प्रदेश के लोक नर्तकों की 30 से अधिक टोलियां भी इस जुलूस में भाग लेती हैं।

रमैया ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

भाषा

शुभम सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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