नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मरीजों की सेवा के लिए ‘टेलीकंसल्टेशन’ की भूमिका को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए ऐसी सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुमानित आवश्यकताओं से अधिक कोविड-19 रोधी टीके की खुराक यह सुनिश्चित करने के लिए दी गई, ताकि टीकाकरण अभियान की गति में कोई कमी न आए।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दूर-दराज के क्षेत्रों और गृह पृथक-वास में रहने वाले मरीजों की सेवा के लिए देश में टेलीकंसल्टेशन और टेलीमेडिसिन (फोन के जरिए उपचार परामर्श) की भूमिका पर मांडविया ने राज्यों को सलाह दी कि वे ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ के हिस्से के रूप में बेहतर लोक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए और अधिक ‘टेलीकंसल्टेशन सेंटर’ खोलने पर ध्यान केंद्रित करें।
उन्होंने कहा, ‘‘टेलीकंसल्टेशन सेंटर न केवल कोविड महामारी के दौरान, बल्कि गैर-कोविड चिकित्सा देखभाल में भी हमारी मदद करेंगे।’’ मंत्री ने डिजिटल माध्यम से राज्यों के साथ बैठक करने के बाद यह बात कही।
बयान में कहा गया है कि केरल ने बैठक में बताया कि कैंसर, मधुमेह प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए गैर-कोविड चिकित्सा देखभाल सेवा भी टेलीमेडिसिन केंद्रों के माध्यम से उन लोगों को प्रदान की जाती है, जो संस्थागत सुविधाओं तक नहीं पहुंच सकते हैं। ‘टेलीकंसल्टेशन’ के साथ ई-संजीवनी में अच्छी प्रगति के लिए आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के प्रयासों की सराहना भी की गई।
मांडविया ने मजबूत और लचीले स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और ईसीआरपी-द्वितीय पैकेज के महत्व को रेखांकित किया, जिसके तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को धन उपलब्ध कराया गया है और कहा कि उन्हें 31 मार्च से पहले इस धन का उपयोग करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने दोहराया कि संक्रमण के मामलों की प्रभावी निगरानी के साथ-साथ ‘‘जांच, निगरानी, उपचार, टीकाकरण’’ और कोविड उपयुक्त व्यवहार के पालन की पांच-स्तरीय रणनीति कोविड-19 मामलों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.