अहमदाबाद, 31 जनवरी (भाषा) कई हिंदू संगठनों ने अहमदाबाद के धंधुका कस्बे में 25 जनवरी को एक युवक की हत्या के विरोध में सोमवार को पूरे गुजरात में प्रदर्शन किया। युवक की हत्या छह जनवरी को एक फेसबुक पोस्ट कथित तौर पर साझा करने को लेकर की गई थी जिसके बारे में कुछ लोगों का आरोप है कि उससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
पोस्ट को लेकर किशन बोलिया की दो मोटरसाइकिल सवार व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में दो मुस्लिम मौलवियों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की जांच गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते ने शनिवार को स्थानीय पुलिस से अपने हाथ में ले ली।
दिन के दौरान, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागरण मंच और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने कई शहरों में वाहन रैलियों और पैदल मार्च का आयोजन किया, पुलिस को राजकोट में हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।
राजकोट के पुलिस उपायुक्त मनोहरसिंह जडेजा ने कहा कि रेसकोर्स रोड पर स्थानीय निवासियों का विरोध प्रदर्शन नियंत्रण से बाहर हो गया जिनमें ज्यादातर मालधारी (मवेशी पालन करने वाले) समुदाय के लोग थे।
डीसीपी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मार्च का समापन कलेक्टर कार्यालय पर होना था, लेकिन रास्ते में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और एक पुलिस पीसीआर वैन को क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हल्के लाठीचार्ज का आदेश दिया गया। एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह लाठीचार्ज में घायल हो गया, लेकिन हम इस दावे को स्वीकार नहीं करते क्योंकि बल प्रयोग न्यूनतम था।’’
इन संगठनों द्वारा सूरत, गांधीनगर, टंकारा जेतपुर मोडासा, मोरबी, पोरबंदर, राजुला, महुवा, दीसा, सिद्धपुर, कर्जन, दभोई और पादरा आदि में मार्च, बंद और प्रार्थना सभा सहित विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इन संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि सूरत में रांदेर और मोरा भागल में विरोध मार्च आयोजित किए गए, जहां लोगों ने आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की, जबकि विसावदर, महुवा, पालिताणा और थानगढ़ में बंद का आयोजन किया गया।
गुजरात विहिप प्रवक्ता हितेंद्रसिंह राजपूत ने दावा किया, ‘‘आम हिंदू नागरिकों ने बोलिया के लिए न्याय की मांग करते हुए आज पूरे राज्य में रैलियां कीं। लोग चाहते हैं कि पुलिस इस पूरी साजिश की गहराई में जाए, जिसके कारण बोलिया की हत्या हुई। हमें पता चला है कि एक और व्यक्ति उनके निशाने पर था और इस तरह के अपराधों के लिए जिम्मेदार विचारधारा की जांच करने की जरूरत है।’’
भाषा. अमित मनीषा
मनीषा
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