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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशकौन हैं UP इन्वेस्टर्स समिट की 'सफलता' के पीछे, रिटायरमेंट बाद IAS अरविंद कुमार बने योगी के सलाहकार

कौन हैं UP इन्वेस्टर्स समिट की ‘सफलता’ के पीछे, रिटायरमेंट बाद IAS अरविंद कुमार बने योगी के सलाहकार

सरकार के आदेशानुसार, सलाहकार (औद्योगिक क्षेत्र) का एक अस्थायी पद सृजित किया गया और कुमार को उसी पर नियुक्त किया गया था. इससे मुख्यमंत्री के सलाहकारों की कुल संख्या 8 हो गई है.

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लखनऊ: पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त करने के 7 महीने बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अस्थायी पद सृजित कर एक अन्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को सलाहकार नियुक्त किया है.

इससे विभिन्न क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री के सलाहकारों की कुल संख्या आठ हो गई है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) देवेश चतुर्वेदी द्वारा गुरुवार को जारी एक आदेश के अनुसार, 29 फरवरी, 2024 तक सलाहकार (औद्योगिक क्षेत्र) का एक अस्थायी पद सृजित किया गया है और पूर्व एसीएस (बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास) अरविंद कुमार को नियुक्त किया गया है.

शिखर सम्मेलन में सीएमओ के साथ मिलकर काम करने वाले अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए कुमार को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) -2023 की कथित “सफलता” के कारण नियुक्त किया गया है. कुमार ने यूपीजीआईएस 2023 के लिए काम करने वाली टीम का नेतृत्व किया था.

उन्होंने बताया कि कुमार शिखर सम्मेलन के दौरान प्राप्त प्रस्तावों के कार्यान्वयन के लिए बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास विभाग में अधिकारियों की मदद करेंगे, क्योंकि सरकार अगले छह महीनों में कम से कम एक प्रस्ताव पर एक समारोह आयोजित करने की योजना बना रही है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शिखर सम्मेलन से पहले कुमार ने शीर्ष उद्योग के नेताओं के साथ आमने-सामने बैठक की थी.

उक्त सूत्रों में से एक ने कहा, “वह जीआईएस टीम का नेतृत्व कर रहे थे और सरकार के प्रयासों की प्रगति और प्रचार की निगरानी कर रहे थे. वह सभी क्षेत्रों में कई बदलावों का संचालन कर रहे थे.”

सूत्र ने कहा, ”उन्होंने उद्योग से जुड़ी नीतियां तैयार करने में मदद की.”

इस बीच सीएम के सलाहकार अवस्थी का कार्यकाल अगले साल 29 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है.


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कौन हैं अरविंद कुमार

1988 बैच के अधिकारी, कुमार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी) दिल्ली से बीटेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) और एमटेक (संचार और रडार इंजीनियरिंग) किया है. उन्होंने फर्रुखाबाद, सीतापुर, आजमगढ़ और देवरिया जैसे जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के पदों पर काम किया है और 2005-2006 में गोरखपुर और बस्ती मंडल के आयुक्त के रूप में भी काम किया है.

25 मई, 2006 और 1 मई, 2014 के बीच सूचना और प्रसारण मंत्रालय में निदेशक (प्रसारण नीति और कानून) और संयुक्त सचिव जैसे पदों पर केंद्र सरकार की सेवा करने के बाद, उन्होंने प्रमुख सचिव (चिकित्सा, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य) के रूप में कार्यभार संभाला. यूपी सरकार में 12 मई, 2014 को उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) का पद संभाला और जुलाई 2016 तक इस पद पर रहे.

उन्हें अगस्त 2016 में प्रमुख सचिव (राजस्व) के रूप में नियुक्त किया गया था और योगी के पहले कार्यकाल के दौरान मई 2017 और जुलाई 2019 के बीच प्रमुख सचिव (गृह), सतर्कता और जेल का पद भी संभाला था.

नवंबर 2019 में, उन्हें प्रमुख सचिव (अतिरिक्त ऊर्जा) और यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल), यूपी इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन एंड वाटर इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन और यूपी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था.

1 फरवरी, 2021 को, कुमार को एसीएस (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट) के रूप में नियुक्त किया गया था, जो उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति तक संभाला और 1 फरवरी, 2022 से अपनी सेवानिवृत्ति तक इन्फ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) के रूप में भी काम किया

पहले भी हुई हैं ऐसी नियुक्तियां

राज्य सरकार ने अक्सर सेवानिवृत्त नौकरशाहों और पेशेवरों को मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है. सीएम (स्वास्थ्य) के सलाहकार भारतीय फार्माकोपिया आयोग के पूर्व सचिव-सह-वैज्ञानिक निदेशक ज्ञानेंद्र नाथ सिंह हैं, जिन्होंने पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है.

सरकार ने 2017 में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और विश्व बैंक के पूर्व निदेशक केशव वर्मा को सलाहकार (शहरी विकास) नियुक्त किया था.

वर्मा केंद्र सरकार की शहरी योजनाकारों की उच्च स्तरीय समिति और साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष भी हैं.

उसी साल पूर्व पत्रकार मृत्युंजय कुमार को सीएम का मीडिया सलाहकार नियुक्त किया गया था. उन्हें मार्च 2022 में इस पद पर फिर से नियुक्त किया गया. 2019 में पत्रकार और कर्मयोगी संन्यासी योगी आदित्यनाथ के लेखक डॉ. रहीस सिंह को भी मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.

2018 में, के.वी. राजू, जिन्होंने प्रमुख वैज्ञानिक और हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरीड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) के सहायक निदेशक के रूप में काम किया है, को सीएम के आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.

राजू योगी सरकार की महत्वाकांक्षी “ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी” परियोजना पर काम करने वाली समिति का हिस्सा थे, लेकिन उन्होंने दिसंबर 2021 में इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और वह जीआईएस 2023 के लिए काम करने वाली टीम का हिस्सा थे.

अगस्त 2022 में, सरकार ने धीरेंद्र पाल सिं – विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) के पूर्व निदेशक- को मुख्यमंत्री (शिक्षा) के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.

अवस्थी को मिला सेवा विस्तार

पिछले साल सितंबर में 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी, जो 31 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त हुए, को इस साल 28 फरवरी तक सीएम का सलाहकार नियुक्त किया गया था.

सरकारी आदेश में कहा गया है कि अवस्थी को “प्रशासनिक मामलों पर सीएम को सलाह देने” के लिए नियुक्त किया गया था. पिछले महीने उन्हें 29 फरवरी, 2024 तक एक साल का विस्तार दिया गया था.

अपनी सेवानिवृत्ति तक, अवस्थी गृह, गोपनीय, वीजा, पासपोर्ट, जेल प्रशासन, सतर्कता, ऊर्जा और धार्मिक मामलों जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के कामकाज की देखरेख कर रहे थे

जुलाई 2019 में एसीएस (गृह) नियुक्त किया गया, उन्होंने उस समय पोर्टफोलियो संभाला जब राज्य ने 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई, हाथरस बलात्कार मामले, कथित अतिक्रमणों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई और पिछले साल प्रयागराज हिंसा देखी.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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