कोलकाता, 12 फरवरी (भाषा) तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की समिति को भंग कर दिया, जिसमें उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी राष्ट्रीय महासचिव थे । इसके साथ ही पुराने और नयी पीढी के नेताओं के बीच बढ़ती दरार के बीच दिग्गजों से भरी 20 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य समिति का गठन किया है ।
पार्टी पर अपने दृढ़ नियंत्रण का दावा करते हुए, ममता ने इस कार्य समिति में जहां अपने पुराने, विश्वस्त और भरोसेमंद नेताओं पर विश्वास जताया है वहीं अभिषेक जैसे युवा नेता को इसमें बरकरार रखा है, जिनके समर्थकों ने हाल के दिनों में पार्टी और राज्य प्रशासन के भीतर कई पदों पर रहने के मुद्दे पर दिग्गजों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने यहां पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आवास पर एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि ममता बनर्जी बाद में पार्टी के नए पदाधिकारियों का नाम बताएंगी।
तृणमूल कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि बैठक में ममता बनर्जी ने सभी से मिलकर काम करने के लिये कहा । सूत्रों ने बताया कि पार्टी में अभिषेक बनर्जी के बढ़ते प्रभाव के बीच, बैठक में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने एक बार फिर रेखांकित किया कि ममता बनर्जी उनकी ‘सर्वोच्च नेता’ हैं।
पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी के पार्टी के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने जाने के बाद, उन्होंने पार्टी मामलों की देख रेख के लिए एक छोटी समिति की घोषणा की थी। आज उस समिति की एक बैठक थी, और उस बैठक में, उन्होंने नयी राष्ट्रीय कार्य समिति की घोषणा की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ममता बनर्जी बाद में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति करेंगी और फिर इसे चुनाव आयोग को भेजा जाएगा।’’
राष्ट्रीय कार्य समिति में जगह पाने वाले नेताओं में अमित मित्रा, पार्थ चटर्जी, सुब्रत बख्शी, सुदीप बंदोपाध्याय, अभिषेक बनर्जी, अनुब्रत मंडल, अरूप विश्वास, फिरहाद हकीम और यशवंत सिन्हा शामिल हैं।
राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ ब्रायन और अनुभवी लोकसभा सांसद सौगत रॉय को समिति में शामिल नहीं किया गया है ।
चटर्जी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रीय पदाधिकारियों की समिति से संबंधित सभी पदों का अस्तित्व समाप्त हो गया है । पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा इस बारे में बाद में तय किया जाएगा। वह एकमात्र नेता हैं जिनके पास पार्टी में एक पद है, राष्ट्रीय स्तर पर किसी अन्य नेता के पास अब कोई पद और अधिकार नहीं है।’’
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘इसलिए, अभिषेक बनर्जी अब राष्ट्रीय महासचिव नहीं हैं। यह देखना होगा कि उन्हें उस पद पर फिर से नियुक्त किया जाता है या किसी अन्य पद पर।’’
पार्टी के लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी को पिछले साल जून में पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। शनिवार की देर शाम तक, उनके ट्विटर हैंडल पर उनका परिचय अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में था ।
अभिषेक बनर्जी सरकार और पार्टी में कई पदों पर रहने वाले दिग्गजों को चुनौती देते हुए, नए लोगों के लिए रास्ता बनाने के लिए ‘‘एक व्यक्ति एक पद’’ की वकालत करते रहे हैं।
संयोग से, सौगत रॉय, जो नई समिति में जगह पाने में विफल रहे, ने सार्वजनिक रूप से अभिषेक बनर्जी के समर्थन में आवाज उठाई थी।
भाषा रंजन रंजन माधव
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