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Friday, 22 November, 2024
होमदेशजेईई परीक्षा में गुजराती के इस्तेमाल पर भिड़े ममता और रूपाणी, एनटीए को देनी पड़ी सफाई

जेईई परीक्षा में गुजराती के इस्तेमाल पर भिड़े ममता और रूपाणी, एनटीए को देनी पड़ी सफाई

एनटीए ने ममता के बयान को संज्ञान में लेते हुए बयान जारी कर कहा है, 'महाराष्ट्र और गुजरात ने एनटीए को उनकी भाषा में प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की बात कही थी जिसे उन्हें उपलब्ध कराया गया.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्षेत्रीय भाषाओं के खिलाफ ‘भेदभाव’ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिये जेईई (मेंस) में सिर्फ गुजराती भाषा की अनुमति दी गई है. गुरुवार को ममता बनर्जी के ट्वीट के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने इसे संज्ञान में लेते हुए बयान जारी कर कहा है, ‘महाराष्ट्र और गुजरात ने एनटीए को उनकी भाषा में प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की बात कही थी जिसे उन्हें उपलब्ध कराया गया. लेकिन अन्य किसी भी भारतीय राष्ट्रीय भाषा में जेईई का प्रश्न उपलब्ध कराने के लिए एनटीए से संपर्क नहीं किया है.’

एनटीए ने अपने बयान में यह भी कहा है, ‘जेईई (मेंस) परीक्षा वर्ष 2013 में इसलिए शुरू की गई थी कि सभी राज्य उनके अभियांत्रिकी के अभ्यर्थियों को जेईई के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देंगे. इस संदेश के साथ सभी राज्यों को अनुरोध भी भेजा गया था. केवल गुजरात ही अपने राज्य में जेईई की परीक्षा के प्रश्नपत्र गुजराती में कराए जाने का अनुरोध भेजा था.’ 2014 में महाराष्ट्र ने भी इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए मराठी और उर्दू भाषा में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था.’

एनटीए ने अपने बयान में यह भी लिखा है, ‘दोनों राज्यों ने जेईई के माध्यम से राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में इंट्रेस इग्जाम लेना वापस ले लिया. इसलिए मराठी और उर्दू भाषा का अनुवाद बंद कर दिया गया लेकिन गुजरात राज्य के अनुरोध पर गुजराती भाषा में प्रश्नपत्र का अनुवाद जारी रहा.’

एनटीए द्वारा जारी बयान

साथ ही एनटीए ने यह भी लिखा कि अभी तक किसी भी राज्य ने अन्य किसी भी भारतीय राष्ट्रीय भाषा में जेईई (मेंस) का प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने के लिए संपर्क नहीं किया है.

विभाजनकारी दीदी

ममता बनर्जी के ट्वीट के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री इस विवाद में कूद गए और उन्होंने उन्हें ‘विभाजनकारी दीदी’ करार दिया. ममता ने इस बात का उल्लेख किया कि गुजराती भाषा के विरुद्ध उनकी कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी सूची में शामिल किया जाना चाहिए था.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने आपत्ति जताते हुए कहा, ‘यदि केंद्र सरकार कोई फैसला ले रही है तो उसे राज्य सरकार से पूछना चाहिए. हम कैसे जान पाएंगे? क्या हम भगवान हैं? हम भगवान नहीं हैं, इसलिए हम कैसे जान पाएंगे कि उनके मन में क्या है? राज्य सरकार को यह सूचना दी जानी चाहिए थी कि कृपया इसे (परीक्षा में बैठने के लिये एक क्षेत्रीय भाषा शामिल करने का प्रस्ताव) भेजिए.’

हालांकि, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) संचालित करने वाली ‘नेशनल टेस्टिंग एजेंसी’ (एनटीए) ने स्पष्ट किया है कि अनुरोध सभी राज्यों को भेजे गये थे किंतु केवल गुजरात और महाराष्ट्र ही जेईई (मेंस) के जरिये अपने इंजीनियरिंग कॉलेजों में उम्मीदवारों के दाखिले के लिए राजी हुए.

हालांकि, ममता ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने महीनों पहले पत्र लिख कर परीक्षा के माध्यम के रूप में बांग्ला भाषा शामिल करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

उन्होंने पूछा, ‘क्या बांग्ला भाषा से भेदभाव किया जा रहा? ना सिर्फ बांग्ला बल्कि एक या दो भाषाओं को छोड़ कर सभी भाषाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया है.’

उन्होंने यह याद दिलाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साझा भाषा के रूप में हिंदी की हिमायत करने के बाद किस तरह से विवाद पैदा हुआ था. उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है जहां कई भाषाएं, जातियां और धर्म हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘किंतु एक चीज जरूर याद रखी जानी चाहिए कि हम सब एक हैं, हम एकजुट हैं क्योंकि आखिरकार एकजुट भारत हमारा उद्देश्य है.’

रूपाणी ने बनर्जी के आपत्ति उठाने पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा जारी स्पष्टिकरण के लिंक को भी पोस्ट किया.

रूपाणी ने ट्वीट किया,‘ प्रिय विभाजनकारी दीदी आपके राज्य की जनता को विकास चाहिए, इस प्रकार के विभाजन वाले दांवपेच नहीं. अब जब कि तथ्य सामने आ चुके हैं आपको अपने झूठ ने लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए.’

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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