कोलकाता, दस फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को पात्र शरणार्थी परिवारों को 2,000 से अधिक फ्रीहोल्ड भूमि दस्तावेज सौंपे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य में शरणार्थी परिवारों के कब्जे वाली सभी जमीन को नियमित किया जाएगा।
ममता ने कहा कि मतुआ सहित किसी भी शरणार्थी समुदाय को उसकी भूमि के लिए फ्रीहोल्ड दस्तावेज से वंचित नहीं रखा जाएगा और भूमि दस्तावेज रखने वाले एक भी शरणार्थी परिवार को उसकी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बंगाल में कम से कम 261 शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित किया गया है और बीते तीन वर्षों में 52,000 से अधिक लोगों को लाभान्वित करते हुए 27,000 पट्टे बांटे गए हैं।
नवंबर 2020 में उन्होंने घोषणा की थी कि राज्य में 1.25 लाख फ्रीहोल्ड भूमि दस्तावेज जारी किए जाएंगे।
तृणमूल सरकार ने जाहिर तौर पर भाजपा को राजनीतिक लाभ पाने से रोकने के लिए शरणार्थी भूमि को नियमित करने और फ्रीहोल्ड जमीन दस्तावेज सौंपने का निर्णय लिया था, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के जरिये शरणार्थियों को लुभाने की उम्मीद कर रही थी। ममता एनआरसी और सीएए दोनों के सख्त खिलाफ हैं।
शहर के नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित दस्तावेज वितरण कार्यक्रम में तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, ‘मैं आपको (शरणार्थी परिवारों) बधाई देना चाहती हूं। यह आपकी जमीन के प्रति आपका अधिकार है। लंबे संघर्ष के बाद आपने आखिरकार यह मुकाम हासिल कर लिया। राज्य सरकार की सभी शरणार्थी कॉलोनियों को कानूनी रूप से नियमित कर दिया गया है और उन जगहों से किसी को भी बेदखल नहीं किया जाएगा। भूमि के लिए फ्रीहोल्ड दस्तावेज समय-समय पर सौंपे जाएंगे।’
ममता ने बताया कि बंगाल ने एक कानून बनाया है, ताकि किसी भी शरणार्थी को रेलवे या केंद्र सरकार की अन्य एजेंसी की भूमि से बेदखल न किया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘हमने यह भी निर्देश दिया है कि जो शरणार्थी काफी समय से निजी भूमि पर रह रहे हैं, उन्हें कभी भी बेदखल नहीं किया जाएगा।’
ममता ने कहा, ‘एक भी शरणार्थी नहीं छूटेगा… उसे जमीन के लिए बिना शर्त दस्तावेज मिलेंगे। इसमें मतुआ समुदाय के लोग भी शामिल हैं। उन्हें भी अपनी जमीन के लिए दस्तावेज मिलेंगे। हम किसी को भी उन्हें बेदखल नहीं करने देंगे। कई लोग हैं, जिन्होंने उनके साथ राजनीति की है।’ मुख्यमंत्री का इशारा भाजपा की तरफ था, जिसने लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले मतुआ समुदाय को लुभाने की कोशिश की थी।
मतुआ समुदाय के लोग धार्मिक उत्पीड़न के कारण लगभग 70 साल पहले पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से पश्चिम बंगाल आ बसे थे। उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में लगभग 30 लाख मतुआ शरणार्थी मौजूद हैं और कम से कम पांच लोकसभा क्षेत्रों में उनका खासा प्रभाव है।
ममता ने कहा कि मेखलीगंज के चितमहल और कूचबिहार के हल्दीबाड़ी व दिनहाटा में शरणार्थियों के लिए तीन स्थाई आवासीय परियोजनाओं का निर्माण किया गया है।
शरणार्थियों के बीच भूमि दस्तावेज के वितरण के संबंध में सरकारी कार्रवाई पर विस्तार से बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खासमहल में पांच मौजा की भूमि का बंदोबस्त किया गया है और 12,000 परिवारों को पट्टे दिए गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि बंगाल में 3.5 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हुए, जब राज्य सरकार ने उन्हें भूमि के पट्टे और कृषि पट्टे के अलावा ‘गृह’ (घर) के पट्टे दिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ‘बांग्लार बाड़ी’ और ‘चा सुंदरी’ योजनाओं का भी जिक्र किया।
‘बांग्लार बाड़ी’ योजना के तहत बंगाल में शहरों और अन्य नगर पालिकाओं में रह रहे झुग्गी बस्ती के लोगों को एक-एक फ्लैट देने की घोषणा की गई है, जबकि ‘चा सुंदरी’ योजना के तहत उत्तर बंगाल में चाय श्रमिकों को घर उपलब्ध कराए जाएंगे।
तृणमूल प्रमुख ने भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जब लोग उनके पास पहुंचें तो काम पूरा हो और वे खाली हाथ न लौटें। उन्होंने कहा, ‘अगर आप ऐसा करते हैं तो मुझे खुशी होगी।’
भाषा पारुल उमा
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