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नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकल आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के दौरान बीच में ही रोक दिया गया।
हालांकि, सरकार ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बनर्जी को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था।
बनर्जी ने कहा कि पांच मिनट के बाद उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया, जबकि आंध्र प्रदेश, गोवा, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अधिक देर तक बोलने की अनुमति दी गई।
नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक से बाहर निकलने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने कहा, ‘‘यह अपमानजनक है। मैं आगे से किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लूंगी।’’
बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों ने शिरकत की।
तृणमूल के कई नेताओं ने बैठक में विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि के साथ अनुचित व्यवहार करने के लिए सरकार पर निशाना साधा, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल अन्य दलों ने भी ममता बनर्जी का समर्थन किया।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका बैठक से बीच में बाहर निकलना पूर्व नियोजित था और इसका उद्देश्य सुर्खियां बटोरना था।
कांग्रेस ने कहा कि ममता बनर्जी के साथ किया गया व्यवहार ‘‘अस्वीकार्य’’ है और आरोप लगाया कि नीति आयोग 10 साल पहले अपनी स्थापना के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘‘ढोल पीटने’’ वाले तंत्र के रूप में काम कर रहा है।
केंद्रीय बजट में गैर-राजग शासित राज्यों के साथ कथित भेदभाव को लेकर पश्चिम बंगाल को छोड़कर, कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्रियों और अन्य विपक्षी शासित राज्यों ने बैठक का बहिष्कार किया।
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी के साथ जो व्यवहार हुआ, वो पूरी तरह अस्वीकार्य है।
वहीं, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में ‘‘अराजक स्थिति’’ है। चौधरी ने राज्य में ‘‘कानून व्यवस्था बहाल करने’’ के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की।
नयी दिल्ली से वापसी के समय कोलकाता हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि अगर अन्य राज्यों को अधिक धन आवंटित किया जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वह पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव का विरोध करेंगी।
बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें नीति आयोग की बैठक में बोलने की अनुमति नहीं देकर अपमानित किया गया।
इससे पहले, बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकलने के बाद संवाददाताओं से बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं बैठक का बहिष्कार करके बाहर आई हूं। (आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री) चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए। असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10 से 12 मिनट तक अपनी बात रखी। मुझे पांच मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया। यह अनुचित है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विपक्ष की तरफ से मैं यहां अकेली नेता हूं। मैंने बैठक में इसलिए हिस्सा लिया, क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए।’’
हालांकि, ‘पीआईबी फैक्टचेक’ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह कहना ‘‘भ्रामक’’ है कि बनर्जी का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया। पोस्ट में कहा गया कि घड़ी के अनुसार उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था।
पोस्ट में कहा गया कि वर्णानुक्रम के अनुसार, ममता बनर्जी की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बोलने की अनुमति दी गई, क्योंकि उन्हें जल्दी कोलकाता लौटना था।
बनर्जी के अनुसार, उन्होंने बैठक के दौरान कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण बजट पेश किया है और सवाल किया कि केंद्र राज्यों के बीच भेदभाव क्यों कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे राजनीतिक रूप से पक्षपाती हैं। वे विभिन्न राज्यों पर उचित ध्यान नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि बजट भी राजनीतिक रूप से पक्षपाती बजट है।’’
टीएमसी प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे कुछ राज्यों पर विशेष ध्यान देने से कोई समस्या नहीं है। मैंने पूछा कि वे अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। मैं सभी राज्यों की ओर से बोल रही हूं। मैंने कहा कि हम वे हैं जो काम करते हैं, जबकि वे केवल निर्देश देते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं, तो यह कैसे काम करेगा। इसे वित्तीय शक्तियां दें या योजना आयोग को वापस लाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘योजना आयोग राज्यों के लिए योजना बनाता था। नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं। यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियां दी जाएं या योजना आयोग को वापस लाया जाए।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘मैंने यह भी कहा कि कैसे मनरेगा और (प्रधानमंत्री) आवास (योजना) फंड को (पश्चिम बंगाल के लिए) तीन साल तक रोक दिया गया। अगर वे अपनी पार्टी और दूसरों के बीच भेदभाव करेंगे, तो देश कैसे चलेगा? जब वे सत्ता में होते हैं, तो उन्हें सभी का ध्यान रखना होता है।’’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के समर्थन में सामने आए। स्टालिन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘क्या यही सहकारी संघवाद है। क्या मुख्यमंत्री के साथ व्यवहार करने का यही तरीका है। केंद्र की भाजपा नीत सरकार को यह समझना चाहिए कि विपक्षी दल हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं और उन्हें दुश्मन नहीं समझा जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सहकारी संघवाद के लिए संवाद और सभी आवाजों का सम्मान जरूरी है।’’
स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता पिनराई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (आम आदमी पार्टी), कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी तथा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) बैठक में शामिल नहीं हुए।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि हाल में लोकसभा में पेश किए गए केंद्रीय बजट में उनके शासित राज्यों की अनदेखी की गई है।
मोदी ने नीति आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भाजपा महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने कहा, ‘‘हमारे देश में सुर्खियां बटोरना बहुत आसान है। सबसे पहले, कहो कि मैं नीति आयोग की बैठक में भाग लेने वाली एकमात्र ‘विपक्षी मुख्यमंत्री’ हूं। फिर बाहर आकर कहो ‘मैंने माइक बंद होने के कारण बहिष्कार किया।’ अब पूरे दिन टीवी पर यही दिखाया जाएगा। कोई काम नहीं। कोई चर्चा नहीं। यही हैं आपकी दीदी।’’
भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि बैठक से बनर्जी का बाहर निकलना पूर्व नियोजित था।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बैठक देश के विकास पर चर्चा और विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी। मेघवाल ने कहा, ‘‘राज्य सरकारों को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए… इस प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए।’’
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ कोई गठबंधन नहीं है, क्योंकि उन्होंने (ममता) अपने राज्य में इसे एक भी सीट नहीं दी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों के फैसले को उचित ठहराया। राजा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने करों और धन का उचित बंटवारा नहीं किया है।
भाषा आशीष रंजन
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