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Friday, 14 November, 2025
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ममता ने डीवीसी पर विजयादशमी पर बाढ़ जैसी स्थिति ‘पैदा’ करने का आरोप लगाया, निगम ने खारिज किया

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कोलकाता, तीन अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार को पूर्व सूचना दिए बिना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने पानी छोड़ दिया। इसके साथ ही उन्होने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम डीवीसी पर विजयादशमी समारोह के दौरान दक्षिण बंगाल के जिलों में जानबूझकर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया।

केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम डीवीसी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पानी का बहाव लगभग 70,000 क्यूसेक तक सीमित था, जो 1.3 लाख क्यूसेक से काफी कम है, जिस पर राज्य के अधिकारियों ने सहमति जतायी थी।

सोशल मीडिया पर तीखे शब्दों में लिखे एक पोस्ट में ममता बनर्जी ने पानी के छोड़े जाने को ‘‘लापरवाह और शर्मनाक’’ बताया और कहा कि इसने ‘‘बंगाल में लाखों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विजयादशमी दुर्गा पूजा के समापन का प्रतीक है – जो आनंद, उल्लास और नयी उम्मीदों का समय होता है। फिर भी, पश्चिम बंगाल के लोगों को त्योहार शांति से मनाने देने के बजाय, डीवीसी ने राज्य को बिना किसी पूर्व सूचना के 65,000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया। यह लापरवाही हमारे पवित्र उत्सवों के दौरान परेशान करने की कोशिश से कम नहीं है।’’

इसके करीब दो घंटे बाद, उन्होंने एक अन्य पोस्ट में दावा किया कि डीवीसी ने शुक्रवार शाम तक 1,50,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा है।

ममता ने इसे ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ बताते हुए आरोप लगाया कि यह प्राकृतिक आपदा के बजाय ‘‘डीवीसी द्वारा निर्मित आपदा’’ है।

उन्होंने सख्त लहजे में कहा, ‘‘मैं साफ कर दूं: मैं किसी को भी बंगाल का विसर्जन नहीं करने दूंगी। हमारे लोगों के खिलाफ हर साजिश का पूरी ताकत से विरोध किया जाएगा। छल पर सत्य की जीत होगी और बुराई पर अच्छाई की विजय होगी। जय मां दुर्गा!’’

बाद में, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि छोड़े गए पानी की मात्रा बढ़ गई है। उन्होंने डीवीसी पर संकट को और बढ़ाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि डीवीसी द्वारा जानबूझकर पानी छोड़े जाने के बारे में नवीनतम जानकारी यह है कि उन्होंने आज शाम तक मैथन और पंचेत बांधों आदि से 1,50,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ दिया है ताकि त्योहारों के मौसम में पश्चिम बंगाल में बाढ़ आ जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘यह लाखों लोगों को पीड़ा पहुंचाने की चाल है…। शर्मनाक, असहनीय, अस्वीकार्य! हम इसका विरोध करते हैं!!’

डीवीसी अधिकारियों ने एकतरफा निर्णय लेने और कुप्रबंधन के आरोपों को खारिज कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि डीवीसी ने जान-माल के नुकसान से बचने के लिए पानी की मात्रा को लगभग 70,000 क्यूसेक तक सीमित रखा जबकि जून में राज्य के अधिकारियों के साथ हुई मानसून-पूर्व बैठक के अनुसार, अगला हिस्सा 1.3 लाख क्यूसेक पानी संभालने में सक्षम है।

उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन को सूचित करने के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। उन्होंने बताया कि पानी छोड़ने के फैसले एक समिति द्वारा लिए जाते हैं, जिसमें राज्य सरकार के सिंचाई मुख्य अभियंता सदस्य होते हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम नियमित रूप से अपनी सिफारिशें मेल से भेजते हैं, लेकिन राज्य के प्रतिनिधि कोई जवाब नहीं देते। निर्णय लेने के छह घंटे बाद पानी छोड़ा जाता है और सभी जिलाधिकारियों और राज्य के सिंचाई सचिव को सूचित किया जाता है। अपडेट एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी भेजे जाते हैं।’’

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी डीवीसी पर बंगाल में लोगों की जान जोखिम में डालने के लिए ‘मानव निर्मित बाढ़’ लाने का आरोप लगाया।

दुर्गा पूजा के दौरान पानी छोड़े जाने को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को इस तरह के संकट पैदा करने की ‘आदत’ है।

राज्य सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि शुक्रवार तक मैथन और पंचेत जलाशयों से छोड़ा गया पानी बढ़कर 70,000 क्यूसेक हो गया है। इसके अलावा दुर्गापुर बैराज से 59,075 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘झारखंड में बारिश हो रही है, जिससे वहां पानी छोड़ा जा रहा है। आस-पास की नदियों और नालों का पानी भी दामोदर नदी में बह कर आ रहा है, जिससे उसका जलस्तर बढ़ गया है। इसलिए, दुर्गापुर बैराज से पानी छोड़ा जा रहा है।’

इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने झारखंड और पश्चिम बंगाल में बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया है।

विभिन्न जलाशयों से छोड़े गए पानी से कई जिलों में बाढ़ की आशंका पैदा हो गई है। इन जिलों में प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है और नदी तट के संवेदनशील क्षेत्रों पर नज़र रखने को कहा गया है

डीवीसी पश्चिम बंगाल और झारखंड में 24,235 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली एकीकृत बिजली उत्पादन कंपनी है, जिसकी स्थापना 1948 में हुयी थी।

भाषा अविनाश पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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