(तस्वीरों के साथ)
मुर्शिदाबाद, पांच मई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर देश में ‘भारी सांप्रदायिक वायरस’ फैलाने का सोमवार को आरोप लगाया और केंद्र से कथित ‘नफरत और गंदी राजनीति’ करने के बजाय देश की सीमाओं की रक्षा करने और पहलगाम आतंकवादी हमले से प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने का आग्रह किया।
अप्रैल में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद पहली बार दंगा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को बचा रही है और प्रभावित परिवारों को उनसे मिलने से रोक रही है।
बनर्जी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल भाजपा नेता सजल घोष ने कहा कि यह राज्य की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार है, जो ‘अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए सांप्रदायिक वायरस फैला रही है।’
बनर्जी ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर भी आरोप लगाते हुए दावा किया, ‘बीएसएफ ने गोलियां क्यों चलाईं? अगर बीएसएफ ने गोलियां नहीं चलाई होतीं, तो अगले दिन यह घटना नहीं भड़कती।’
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘जो लोग दंगे भड़का रहे हैं वे बंगाल के दुश्मन हैं।’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘मैं शांति चाहती हूं, दंगे नहीं। पश्चिम बंगाल अपने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जाना जाता है और हम किसी भी कीमत पर इसकी रक्षा करेंगे। मैं उनसे (भाजपा) पूछना चाहती हूं कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और देश को बेचने के लिए इतना भारी वायरस क्यों फैलाया जा रहा है?’
बनर्जी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए उस पर ‘राष्ट्र की सुरक्षा करने के बजाय सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने’ का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त होने के बजाय कृपया सीमाओं का ध्यान रखें। कृपया भारत का ध्यान रखें। हम भारत से प्यार करते हैं, यह हमारी मातृभूमि है। कृपया देश को किसी भी आपदा से बचाएं। कृपया उन लोगों को न्याय दें जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। गंदी और घटिया राजनीति न करें। मैं गंदी राजनीति बर्दाश्त करने वाली आखिरी व्यक्ति हूं।’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लिए बिना बनर्जी ने उन्हें ‘कार्यवाहक प्रधानमंत्री’ करार दिया।
टीएमसी प्रमुख ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन में 10-12 प्रधानमंत्री देखे हैं। मैंने उनके साथ काम किया है। एक सांसद के तौर पर मैंने उन सभी को करीब से देखा है। मैं अब प्रधानमंत्री की बात नहीं कर रही हूं, बल्कि ‘कार्यवाहक प्रधानमंत्री’ (अमित शाह) की बात कर रही हूं। कार्यवाहक प्रधानमंत्री कौन हैं? मुझे नहीं पता, लेकिन मुझे कुछ छात्रों ने बताया है। शायद भाजपा ही जवाब दे सके कि वह कौन हैं। मैं उनसे (कार्यवाहक प्रधानमंत्री) कहूंगी कि सांप्रदायिक तनाव और उपद्रव पैदा करने के बजाय सीमाओं का ध्यान रखें। ईमानदार, गंभीर, उचित और जिम्मेदार बनने की कोशिश करें।’
पिछले महीने मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गृह मंत्री पर लगाम लगाने का आग्रह किया था और उन पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए देश को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। उन्होंने केंद्र को एकता और शांति बनाए रखने के अपने संवैधानिक कर्तव्य की भी याद दिलाई थी।
उन्होंने कहा, ‘जब आप कुर्सी पर होते हैं, तो आप लोगों को विभाजित नहीं कर सकते। शांति, सद्भाव और एकता बनी रहे। मैं यहां पीड़ितों के परिवारों से मिलने आई हूं, लेकिन यह उनकी गलती नहीं है। उन्हें क्यों छिपाया गया है? मैं यह सवाल पूछूंगी। क्या इसका मतलब है, ‘दाल में कुछ काला है’?’
मुर्शिदाबाद दंगों में एक व्यक्ति और उसके बेटे सहित तीन लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने बीएसएफ, गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय एजेंसियों और भाजपा पर ‘बाहरी लोगों के प्रवेश को सुगम बनाकर और बांग्लादेश से सीमा पार घुसपैठ कराकर अशांति पैदा करने’ का आरोप लगाया था।
बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा ने मुर्शिदाबाद दंगों से प्रभावित परिवारों को ‘जबरन’ अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया ताकि वे उनसे मिल न सकें।
उन्होंने कहा, ‘(जाफराबाद में पिता-पुत्र हत्याकांड के संदर्भ में) मैं उनके घर जाती, लेकिन भाजपा ने दोनों पीड़ितों के परिवारों को उनसे दूर कर दिया। क्या यह अपहरण नहीं है? अगर मैं उनसे मिलती और उन्हें चेक सौंपती तो क्या नुकसान होता?’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने अशांति भड़काई थी, उन्हें ‘भाजपा द्वारा संरक्षण’ दिया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया, ‘कुछ बाहरी लोग और कुछ धार्मिक नेता समुदायों के बीच हिंसा और दुश्मनी भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। वे राजनीतिक लाभ उठाते हैं और बच निकलते हैं। वे अधार्मिक नेता हैं। वे मेरे मित्र नहीं हैं। वे मुर्शिदाबाद और बंगाल के दुश्मन हैं।’
बनर्जी ने कहा कि वह किसी समुदाय पर आरोप नहीं लगा रही हैं और उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों की बात सुनी है।
बनर्जी ने कहा कि हिंसा केवल दो नगरपालिका वार्डों तक ही सीमित रही है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘हमने इस बात की जांच की है कि किसने इसे अंजाम दिया और उन्होंने इसकी योजना कैसे बनाई। कई ‘गोदी मीडिया’ संस्थान हैं, शब्द का इस्तेमाल करने के लिए क्षमा करें, लेकिन वे … लोगों को भड़का रहे हैं।’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तीखी आलोचना करते हुए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने आयोग के सदस्यों के मुर्शिदाबाद के हालिया दौरे के मद्देनजर उसकी प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या एनएचआरसी के सदस्यों ने भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था, जहां अब राष्ट्रपति शासन है।
बनर्जी ने कथित रूप से चुनिंदा तत्परता के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘क्या एनएचआरसी मणिपुर गया, जो राष्ट्रपति शासन के अधीन है? क्या वे उप्र, राजस्थान, बिहार या ओडिशा गए थे? मुर्शिदाबाद आने में उन्हें इतनी जल्दी क्यों थी?… यह सब पहले से ही योजनाबद्ध था।’
बनर्जी ने पूछा, ‘अगर इसकी योजना नहीं बनाई गई थी तो एनएचआरसी और भाजपा नेता इतनी तेजी से यहां कैसे पहुंच गए?’
बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ स्थानीय धार्मिक हस्तियों ने बेलडांगा, सुती और धुलियान जैसे क्षेत्रों में अशांति फैलाने में भूमिका निभाई है जिनके राजनीतिक संबंध हैं और केंद्रीय संरक्षण प्राप्त है।
भाषा
नोमान माधव
माधव
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