बेंगलुरु: कर्नाटक के धर्मस्थल सामूहिक दफन आरोपों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने उस पूर्व सफाईकर्मी को गिरफ्तार कर लिया है, जिसकी शिकायत पर मंदिर नगर (बेंगलुरु से लगभग 300 किलोमीटर दूर) में यह जांच शुरू हुई थी.
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को इसकी पुष्टि की और बताया कि आरोपी व्हिसलब्लोअर को मेडिकल जांच के बाद स्थानीय अदालत में पेश किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, “उसी शिकायत के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है. अपनी ही शिकायत में उसने शपथ के तहत झूठ बोला, इसलिए उसे झूठी गवाही के आरोप में पकड़ा गया है.”
पूर्व सफाईकर्मी के आरोपों ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी थी क्योंकि यह मामला राज्य के सबसे प्रभावशाली, संपन्न और राजनीतिक रूप से ताकतवर परिवार से जुड़ा था, राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े का, जो धर्मस्थल मंदिर के मुख्य प्रशासक (धर्माधिकारी) हैं.
पूर्व मंदिर कर्मचारी ने 4 जुलाई को अपनी शिकायत में कहा था कि 1995 से 2014 के बीच उसे “सैकड़ों” शव ठिकाने लगाने पर मजबूर किया गया, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं थीं और उन पर यौन शोषण, हत्या और यातना के निशान थे. उसने आरोप लगाया था कि यह सब “धर्मस्थल मंदिर प्रशासन और अन्य स्टाफ से जुड़े लोगों” द्वारा किया गया.
उसे गवाह सुरक्षा भी दी गई थी और 10 जुलाई को वह एक महिला की खोपड़ी लेकर बेल्थंगडी कोर्ट पहुंचा. उसका दावा था कि यह वही अवशेष हैं, जिन्हें उसने कई साल पहले दफनाया था और हाल ही में खुद निकाला.
19 जुलाई को सिद्धारमैया सरकार ने SIT का गठन कर जांच शुरू की. पूर्व सफाईकर्मी ने 13 जगहें चिन्हित कीं, जहां उसने कथित तौर पर शव दफनाने की बात कही थी.
खुदाई के दौरान स्थान संख्या 6 से एक मानव कंकाल और स्थान संख्या 11 के पास से दूसरे कंकाल के कुछ हिस्से मिले, लेकिन ये सभी अवशेष, कोर्ट में लाए गए अवशेष सहित, पुरुषों के ही निकले.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि SIT की खुदाई में जो कुछ मिला है, उसकी जांच आगे भी जारी रहेगी. अधिकारी ने कहा, “उसने हमें जो जगहें दिखाईं और जो कुछ हमने पाया है, वह सब जांच के अधीन है और फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा गया है.”
यहां तक कि सुजाता भट, जिन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटी अनन्या भट 2003 में धर्मस्थल में लापता हुई थी, वे भी अपने बयान से पलट गई हैं.
अब उनका कहना है कि कुछ लोगों ने उन्हें झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया था.
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