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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशझारखंड में ‘मंईयां सम्मान योजना’ जारी रहेगी : कल्पना सोरेन ने महिलाओं को दिया भरोसा

झारखंड में ‘मंईयां सम्मान योजना’ जारी रहेगी : कल्पना सोरेन ने महिलाओं को दिया भरोसा

सभा को संबोधित करते हुए झामुमो नेता कल्पना सोरेन ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि उनके लाभ बरकरार रहेंगे और “अगर कोई खाता बंद होगा तो वह झारखंड में भाजपा का खाता होगा.”

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जमशेदपुर: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक कल्पना सोरेन ने शुक्रवार को राज्य की महिलाओं को आश्वासन दिया कि ‘मंईयां सम्मान योजना’ बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उस बयान के प्रति आगाह किया जिसमें इस योजना को “चुनावी स्टंट” बताया गया है.

पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम में ‘मंईयां सम्मान योजना’ यात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कार्यक्रम के भविष्य के बारे में गलत सूचना फैलाने के लिए भाजपा सहित विपक्षी दलों की आलोचना की.

सोरेन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि झारखंड के गठन के बाद पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पहल को शुरू करके 18-50 वर्ष की महिलाओं के कल्याण को प्राथमिकता दी है, जिसके तहत राज्य की लगभग आधी महिला आबादी को 1,000 रुपये प्रति माह प्रदान किया जाता है.

उन्होंने भाजपा के इस दावे को खारिज कर दिया कि चुनाव के बाद यह कार्यक्रम समाप्त कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) भाजपा से जुड़े निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा दायर की गई है.

सभा को संबोधित करते हुए झामुमो नेता कल्पना सोरेन ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि उनके लाभ बरकरार रहेंगे.

उन्होंने कहा, “अगर कोई खाता बंद होगा तो वह झारखंड में भाजपा का खाता होगा.”

उन्होंने महिलाओं से आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति को देवी दुर्गा के नौ रूपों से जोड़ते हुए आगामी नवरात्रि उत्सव के दौरान हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का समर्थन करें.

सोरेन ने विश्वास जताया कि “नारी शक्ति” चुनावों में विपक्ष की जवाबदेही तय करेगी.

उन्होंने पिछड़े वर्गों के खिलाफ भाजपा की कार्रवाई की आलोचना की, आरक्षण दरों में गिरावट का हवाला दिया और पार्टी पर झारखंड में हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सोरेन ने दोहराया कि गठबंधन सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पारित किया था, जिस पर केंद्र की भाजपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासियों, दलितों और अन्य हाशिए वाले समूहों के अधिकारों के लिए हेमंत सोरेन की वकालत ने भाजपा के लिए चुनौतियां पैदा की हैं.

इससे पहले, उन्होंने जिले भर में कई बैठकें कीं, जिसमें समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया.

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