बेंगलुरु, चार अक्टूबर (भाषा) बेंगलुरु में सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव के लिए की गई कार्रवाई के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने में विफल रहने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि शहरी विकास विभाग के सचिव दो नवंबर को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हों।
बृह्द बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने शहर के एक एनजीओ ‘लेट्जकिट फाउंडेशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका की पिछली सुनवाई में एक रिपोर्ट दायर की थी।
बीबीएमपी को तीन सप्ताह के भीतर शहर में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों की स्थिति पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। रिपोर्ट दाखिल करने के लिए बुधवार को और समय मांगा गया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. रमेश ने अदालत से कहा कि सरकार बेंगलुरु के नागरिकों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है।
रिपोर्ट दाखिल करने में अधिकारियों की विफलता को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने यह जुर्माना लगाया।
आठ अगस्त को मामले की पिछली सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने बीबीएमपी को तीन सप्ताह का समय दिया था, उस समय भी निगम को चेतावनी दी गई थी कि यदि उसने आदेश का पालन नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
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