मुंबई, 21 मार्च (भाषा) महावीर चक्र वीरता पुरस्कार से दो बार सम्मानित वायुसेना के विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) जगमोहन नाथ का मंगलवार को यहां निधन हो गया।
वर्ष 1962 और 1965 के युद्धों में अपने कैनबरा विमान में तिब्बत और पाकिस्तान के ऊपर कई टोही उड़ानें भरने वाले नाथ को उनकी बहादुरी के लिए विशेष तौर पर पहचान मिली। वायुसेना के उनके सहयोगी नाथ को ‘जग्गी’ कहकर पुकारते थे।
वर्ष 1962 के युद्ध अभियान में योगदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित तत्कालीन स्क्वाड्रन लीडर जगमोहन नाथ को 1965 युद्ध के दौरान कैमरे से लैस जेट के जरिये पाकिस्तान में खुफिया अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए दोबारा महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने अक्साई चिन और तिब्बत में उड़ान भरी थी और भारत-चीन युद्ध से पहले और उसके दौरान जमीनी स्थिति तथा दुश्मन की सेना की गतिविधियों से जुड़ी बहुमूल्य जानकारी एकत्र की थीं।
तीन साल बाद, सितंबर 1965 में उन्हें इस बार भारत-पाक युद्ध में उनकी भूमिका के लिए एक और महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र भारत में दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है, जो वीरता के लिए दिया जाता है।
विंग कमांडर नाथ 1970 में सेवानिवृत्त हुए थे और बाद में वह कमर्शियल पायलट के तौर पर एयर इंडिया से जुड़ गए थे।
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शफीक सुरेश
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