महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में राज्य की सरकारी बसें 12 मई से लगभग 45 हजार फेरियां लगा चुकी हैं. महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इन बसों ने एक लाख 55 हजार किलोमीटर की दूरी तय की है. वहीं, पांच लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को नि:शुल्क, सुरक्षित और सुलभ तरीके से नजदीकी रेल्वे स्टेशनों और पड़ोसी राज्यों की सीमाओं तक पहुंचाया गया है.
इस तरह, कोरोना काल में इन बसों ने सार्वजनिक यातायात प्रणाली पर आम जनता का भरोसा पहले से और अधिक मजबूत किया है. साथ ही, यह भी स्पष्ट किया है कि किसी प्रदेश की परिवहन व्यवस्था निजी हाथों में देने की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र को संगठित करना क्यों जरूरी है.
नांदेड़ बस डिपो प्रमुख व्यवहारे बताते हैं, ‘इस दौरान वाहन चालकों को बस में नियमानुसार प्रवेश दिलाने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इसके तहत एक बस में 22 से अधिक सवारियों का प्रवेश वर्जित किया गया है. हमारी कोशिश है कि एक सवारी को दूसरी सवारी से दूर जगह दी जाए. इसके अलावा, हमने मास्क के उपयोग आदि सुरक्षा से जुड़ी बातों पर भी ध्यान दिया है.
महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की सरकारी बसें 11 मई से 31 मई तक 44 हजार 106 फेरियां लगा चुकी हैं.
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सौ करोड़ से अधिक खर्च
विभिन्न राज्यों के लोग अपने-अपने गांवों में सुरक्षित पहुंचें, इसके लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम ने विशेष व्यवस्था की थी. हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार की ओर से 105 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है.
औरंगाबाद, मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक और अमरावती बस डिपो से प्रवासियों को उनकी राज्यों के लिए पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने विशेष बसे उपलब्ध कराई थीं.
इस दौरान राज्य परिवहन की बसों से उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु आदि राज्यों के प्रवासियों को उन्हें गृह-राज्यों में पहुंचाने के लिए विभिन्न रेलवे स्टेशनों तक दो लाख 28 हजार लोगों को पहुंचाया गया.
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इसी तरह, इन बसों से मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की सीमाओं तक तीन लाख 10 हजार प्रवासियों को पहुंचाया गया.
इस वर्ष 1 जून को ग्रामीण महाराष्ट्र की जीवन रेखा कही जाने वाली राज्य परिवहन की लाल बसों के संचालन के 72 साल पूरे हो गए. पूरे राज्य में कुल 16,500 बसे संचालित हो रही हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)